Kalam Hindi Kavita/ क़लम- सीताराम चौहान पथिक

क़लम (Kalam Hindi Kavita) आप लिख-लिख कर ,क़लम घिस जाएंगे ।ये जो है – चिकने घड़े ,रंगत नई दिखलाएंगे ।। आज भ्रष्टाचार बे-ईमानियो ,का – – – – – दौर … Read More

stri poem -स्त्री / वेदिका श्रीवास्तव

स्त्री स्त्री जब तक त्यागी है,तभी तक सबकी प्यारी है!अधिकार ,धरम इसका ना पुछो कितना इसने छोड़ा है ,इसके हर शब्दों को समझो ,अपनो के ये मारी है !स्त्री जब … Read More

दे दे रे मॉ,इतना वर दे / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

दे दे रे मॉ,इतना वर दे दे दे रे मॉ , इतना वर दे,देश मेरा खुशहाल रहे।हर हाथों को ,काम सौंप दे,हर घर मालामाल रहे । ना जानूॅ मैं पूजन … Read More

हृदयविदारक घटना | lakhimpur kheri violence par kavita in hindi

हृदयविदारक घटना( लखीमपुर की) किसने दे दिया अधिकारबूढ़ों को सड़क पर चलने काउन्हें तो घर में रहना चाहिएबिल्कुल घर मेंवह भी शांत भाव सेबिना शोर- शराबा केचाहे कोई कुछ भी … Read More

Hindi Gazal Lachari | लाचारी/ सीताराम चौहान पथिक

लाचारी | Hindi Gazal Lachari हर साथ ढूंढता है कोई ,बस – साथ के लिए ।हर हाथ ढूंढता है कोई ,इक हाथ- – के लिए ।। कितना बदल गया है … Read More

नदी | झूठी दिलासा – डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

नदी जब तलक नदी बनकर जिएंगेलाखों की प्यास बुझाते रहेंगेसमुन्दर से मिलने की चाहत में तोअपनों से बहुत दूर चले जायेंगेकब किसी की प्यास बुझी है समुंदर सेनदी की दो … Read More

सत्य की राह / वेदिका श्रीवास्तव

बार -बार प्रश्नो के प्रियवर, तीर तुमहे सहने होंगे ,तुम झूठ ना होकर भी बंधु,झूठे ही कहलाओगेविष अपमानो के भी तुमको संग -संग पीने होंगे |तीर तुमहे सहने …..चलना होगा … Read More

पाँव पखेरू पिया / भारमल गर्ग “साहित्य पंडित”

पाँव पखेरू पिया जब पांवों की पायल करती छन छन शोर सुंदर भाव उकेरती तब होती हैं भोर मन मंदिर में दहकती वह कन्या चितचोर अंखियों से बातें करती दिल … Read More