चरणों में यह जीवन है | जय शिव शंकर जय अविनाशी | कोई नहीं है अपना | ऋतु सावन की आई है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

गुरु-पूर्णिमा के पावन अवसर पर पूज्य गुरुदेव को समर्पित एक गीत– शीर्षक:-चरणों में यह जीवन है। रोम-रोम में नाम तुम्हारा,सुधियों में छवि तेरी है,अनुप्राणित यह जीवन तुमसे,तुमसे दुनिया मेरी है। … Read More

जीवन ही प्रेम | मन से मन का मान रख | कैसे खेली हम आज कजरिया | सावन की घटा

1 .जीवन ही प्रेम है। मुहब्बत हर कण,हर क्षण में होता है,कोई खोकर पाता,कोई पाकर खोता है।पशु-पक्षी पेड़-पौधे,सबमें प्रकृति-प्रेम है,नजर तो जरा घुमाओ,सूक्ष्मता में भी स्नेह पाओ।सावन का प्रेमी है … Read More

फ़ानी दुनिया | सम्पूर्णानंद मिश्र

फ़ानीदुनिया कोसत्य मान बैठनामूढ़ता की घोर पराकाष्ठा है यहां सुखसरसो औरदुःख एवरेस्ट है इसलिएसमय रहतेअहं की इमारत कोविवेक के बुल्डोजर सेढहा देना चाहिए इस फ़ानी कायनात मेंसब क्षणभंगुर हैकुछ भी … Read More

बादल रूठ गये | नरेंद्र सिंह बघेल

मौसम की आपाधापी में ,रिश्ते सूख गये ।बादल रूठ गये रे भैय्या ,बादल रूठ गये ।।आज अधूरे सपनों से ,बाराती छूट गये ।बादल रूठ गये रे भैय्या ,बादल रूठ गये … Read More

कसूर | सम्पूर्णानंद मिश्र | हिंदी कविता

वे मासूम थेहांबिल्कुल मासूम थे कसूर क्या था उनकाबस इतना किनहीं खेल रहे थेकिसी खिलौनों से नहीं झूल रहे थे पार्क केकिसी झूले में बालपुस्तिकाभी नहीं थी हाथ में न … Read More

हर घड़ी याद आती रही है तेरी | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ | हिंदी कविताएं

हर घड़ी याद आती रही है तेरी कट गई जिन्दगी बस-सफर में मेरी,हर घड़ी याद आती रही है तेरी।1। बागबॉ बन हिफाजत मैं करता रहा,हर कली में थी खुशबू समाई … Read More