हिंदी से पहचान हमारी |बाबा कल्पनेश

हिंदी से पहचान हमारी,मगन करे नभ गान।भारत माता के पुत्रों को,हिंदी है वरदान।।अँग्रेजों अब भारत छोड़ो,हिंदी की ललकार।थर्राए थे गोरे सुनकर,समझ गए निज हार।। था अगस्त अड़तालिस का वह,गए राष्ट्र … Read More

मणिपुर के बाद बंगाल | सम्पूर्णानंद मिश्र

मणिपुर के बाद बंगाल | सम्पूर्णानंद मिश्र धृतराष्ट्रदेख नहीं सकता थाअंधा था और जो कुछ देखादूसरे की आंखों से दूसरे की आंखों सेदेखी और सुनी हुई बातेंसत्य से कोसों दूर … Read More

लजाई प्रीत / पुष्पा श्रीवास्तव “शैली”

लजाई प्रीत / पुष्पा श्रीवास्तव “शैली” दीप जगमग हुआ प्रीति ने मन हुआ।गागरी भर उतरने लगी चांदनी।मन से मन जब मिला,तम लजाकर कर गिरा,लाज की ओढ़नी फिर पड़ी बांधनी जब … Read More

प्रेम पत्र /शैलेन्द्र कुमार

प्रेम पत्र /शैलेन्द्र कुमार प्रेम पत्रतुम्हे लिखूं कैसे?कैसे व्यक्त करूंह्रदय के भाव तुमसे। संकोच में रूठ गए शब्द सारेदुविधा में बीत गए मौसम सारे।अजीब दशा है, खुशी भी, डर भीलिखने … Read More

आइसक्रीम | रत्ना भदौरिया | लघुकथा

आइसक्रीम | रत्ना भदौरिया | लघुकथा चाय- चाय कभी ढंग की चाय बना दिया करो। कभी चाय पत्ती ज्यादा तो कभी दूध और पानी। कभी इतना पका देंगी की पीते … Read More

मौत | हिंदी कहानी | सम्पूर्णानंद मिश्र

मौत | हिंदी कहानी | सम्पूर्णानंद मिश्र बनारस उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी है। यहां सुबह तीन बजे से घाटों पर संतों की आवाजाही होने लगती है। मंदिरों में घण्टियां … Read More

व्यथित मन | पुष्पा श्रीवास्तव शैली | हिंदी कविता

व्यथित मन | पुष्पा श्रीवास्तव शैली | हिंदी कविता व्यथित हूंकुछ सीवन सी टूटती जा रही।या कुछ सीलन के प्लास्टरजैसा झड़ता ही जा रहाकभी भी खतम न होने वाला। आज … Read More

गीतकार परमहंस मौर्य के हिंदी मुक्तक | हिंदी मुक्तक

१. आज कर लो जो है करना,जिंदगी का नहीं ठिकाना।कब साथ छोड़ के पड़ जाए,दुनिया से हमको जाना।हर पल शौख से जीना,रहना कभी न तन्हा,गम हो या खुशी हो हर … Read More

महक रही यह फूल की घाटी / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

महक रही यह फूल की घाटी महक रही यह फूल की घाटी,चन्दन-वात लुटाता है,स्नेहापूरित कण-कण जिसका,भारत देश कहाता है।टेक। शस्य-श्यामला सुफला धरती,खनिजों के भण्डार भरे,मलय सुहावन सुरभि लुटाती,कण-कण नव ऋंगार … Read More

पीड़ा / सम्पूर्णानंद मिश्र

पीड़ा सदियों सेप्रतिस्थापितपत्थरधर्मस्थलों मेंखोखले लिबासओढ़े- ओढ़ेबिल्कुल थक से गए और अपने साथ हुएअन्याय के ख़िलाफ़पूरी प्रतिबद्धता से खड़े हो गए उनके साथ हुएशोषण का रक्तउनकी आंखों सेनिरंतर टपक रहा है … Read More

पतली पगडंडी | Hindi Kavita | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

पतली पगडंडी | Hindi Kavita | पुष्पा श्रीवास्तव शैली उस पतली पगडंडी पर तुम कैसेकैसे दौड़ा करते थे।कच्ची अमिया के गुच्छे कोकैसे तोड़ा करते थे। बहुत बार हम गिरे साथ … Read More

छोटी सी गौरैया | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

छोटी सी गौरैया छोटी सी होती गौरैया,झुंड में आ जातीं गौरैया।आंगन में फिर फुदक-फुदक कर,सबका मन भातीं गौरैया।चूं-चूं चीं-चीं वे हैं करती,अपनीं भाषा में कुछ कहतीं।दानें चुगनें झट आ जातीं,अपना … Read More

हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2023 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me

हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2023 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me नववर्ष विथा-तोटक छंद112 … Read More

नूतन वर्ष मनायें | Hindu New Year Poetry | Hindi Kavita

नूतन वर्ष मनायें | Hindu New Year Poetry | Hindi Kavita आया पावन पर्व हमारा,नूतन वर्ष मनायें,चलें साथ सब नव विकास पथ,सुख-समृद्धि घर लायें।टेक। फसलें झूम रहीं खेतों में ,अनुपम … Read More

नव संवत्सर | हिंदी कविता | डाॅ. बी.के.वर्मा ‘शैदी’

नव संवत्सर | हिंदी कविता | डाॅ. बी.के.वर्मा ‘शैदी’ भारतीय नव संवत्सर केस्वागत_समारोहों के बारे में जानकर,मेरे पोते ने मुझ से पूछा:“दादा जी!New Year तो हमतीन महीने पहले ही मना … Read More