मृत्यु के बाद / सम्पूर्णानंद मिश्र

मृत्यु के बाद / सम्पूर्णानंद मिश्र लेकर जाती हैऔरत अपनी मृत्यु के बादघर की समृद्धिबच्चों का बचपनबेटियों का अल्हड़पनघर की दीवारों‌ की मुस्कुराहटचौखट की गोपनीयताखिड़कियों की रौशनीचूल्हे- चौकों की मर्यादाआंगन … Read More

पुष्पा श्रीवास्तव शैली की कविता | बौने स्वप्न | बुझता है दीप अंबे ज्ञान का प्रखर देखो

पुष्पा श्रीवास्तव शैली की कविता | बौने स्वप्न | बुझता है दीप अंबे ज्ञान का प्रखर देखो बौने स्वप्न हमने बोए कुछ स्वप्न,कुछ उगे,बढ़ेऔर कुछ बौने रह गए।बौने रह गए … Read More

बदलते चेहरे / आकांक्षा सिंह ‘अनुभा’

बदलते चेहरे अक्सर चेहरों को रंग बदलते देखा है। आपके सामने कुछ और।। दूसरों के सामने कुछ और होते देखा है। अक्सर चेहरों को रंग बदलते देखा है।। सुनते तो … Read More

मुसाफिर हम मुसाफिर तुम / नरेंद्र सिंह बघेल

मुसाफिर हम मुसाफिर तुम | नरेंद्र सिंह बघेल मुसाफिर हम मुसाफिर तुम ,किसी का क्या ठिकाना है ।कि खाली हाँथ आए हैं ,औ खाली हाँथ जाना है ।फकत रह जाएगीं … Read More

कब के बिछुड़े | ढूढ़ती हूं | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

कब के बिछुड़े | ढूढ़ती हूं | पुष्पा श्रीवास्तव शैली १. कब के बिछुड़े कब के बिछुड़े आज फिर जब तुम मिले तोमोर सा मन आज फिर से नाचता है।हो … Read More

गुमनाम आंखें | अभय प्रताप सिंह | हिंदी कहानी

गुमनाम आंखें | अभय प्रताप सिंह | हिंदी कहानी अस्पताल में कमरे के बाहर मास्टर साहब कभी खड़े होते तो कभी इधर – उधर टहलने लगते , कभी बैठ जाते … Read More

नक़ाब / सम्पूर्णानंद मिश्र

नक़ाब नक़ाबके पीछे काचेहरा ख़ूबसूरत होनहीं होता ऐसा हमेशाहांयह बिल्कुल सत्य है किनक़ाब के उतरने परही यथार्थ सामने आता हैवैसेनक़ाब के चरित्र काएक उज्ज्वल पक्ष हैथोड़े समय के लिएविद्रूपता कोअपने … Read More

किस तरह मैं शाम की बातें लिखूँ अब / रश्मि लहर

किस तरह मैं शाम की बातें लिखूँ अब,मिट रहे श्मशान की यादें लिखूँ अब। रो पड़ा फौजी, बिलखते मौन संग,लाल मेंहदी सी बहीं रातें, लिखूँ अब। ओढ़ के चूनर, वो … Read More

लिख-लिख कर कोई बात / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

लिख-लिख कर कोई बात / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ लिख-लिख कर कोई बात,मिटाया न कीजिए,धड़कन को मेरी जान ,बढ़ाया न कीजिए।1। यह दिल तुम्हारी चाह में,बरबाद हो गया-ख्वाहिशों की दौलत ,जलाया … Read More

उड़ान/सम्पूर्णानंद मिश्र

उड़ान कोमल हाथों सेआकाश छूने कीचाह रखेवह मासूम दुनिया कीमक्कारी व षड्यंत्र की पाठशालासे अभी बिल्कुल अबोधथानहीं शिकार हुआ थावह अपनी हीपरछाईं कादिखाई दे रही थीजैसी यह सृष्टिउसी रूप में … Read More

भाषा ख़तरे में / सम्पूर्णानंद मिश्र

भाषा ख़तरे में / सम्पूर्णानंद मिश्र आज के समय मेंख़तरे ही ख़तरे हैंइसलिएसाफ़ साफ़ मत बोलोकुछ मिलावट रक्खोअपनी भाषा मेंबिल्कुल खिचड़ी की तरहआज के समय मेंअपने शब्दों को यदिभाषा की … Read More

लेखक अभय प्रताप सिंह का जीवन परिचय | Biography of author abhay pratap singh

लेखक अभय प्रताप सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के ग्राम बेनीकोपा ( कबीर वैनी ) पोस्ट बेनीकामा में हुआ था । इनके पिता का नाम हरिगेंद्र सिंह … Read More

फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र

फ्रैक्चर / सम्पूर्णानंद मिश्र जब विश्वास का पैरफ्रैक्चर होता हैतो नहीं ठीक होता है जल्दीबहुत समय लगता हैइसको फिर से खड़ा होने मेंक्योंकिजब यह खड़ा होता हैधीमी चालचलता हैतोअविश्वास के … Read More

मैंने उसको ढूंढ लिया है / सविता चडढा

मैंने उसको ढूंढ लिया है उसको मैंने ढूंढ लिया है,जिसको ढूंढ लिया है मैंने,वह सबको नहीं मिलने वाला,अभी बचपन है,उछल कूद है और जवानी भी रंगीन,पैरों नीचे नहीं जमीन,आसमान पर … Read More

विभीषिका / सम्पूर्णानंद मिश्र

विभीषिका मज़हब का नशाजब ख़ून में उतर जाता हैतो इंसानख़तरनाक हो जाता हैकई हिस्सों मेंवह बंट जाता हैबंटा था 1947 मेंहमारा देश भीमज़हब के नाम पर हीमज़हब ज़हर हैजानलेवा हैऔर … Read More