बुड्ढा जब बोला करता | शारद वंदन – बाबा कल्पनेश

बुड्ढा जब बोला करता | शारद वंदन – बाबा कल्पनेश

बुड्ढा जब बोला करता

वह बुड्ढा जब बोला करता,पीर छलक जाती थी।
उसके बानी की प्रियता तो,मुझको अति भाती थी।।

कभी बताने लगता था वह,बचपन वाली बातें।
शब्दों में वह कभी दिखाता,अपनी काली रातें।।
घर का आटा-दाल खतम हो,तब वह क्या करता था।
दिन भर मेहनत-मजदूरी कर,अन्न गेह भरता था।।
गृहणी जो अब रही नहीं वह,छम-छम इठलाती थी।
वह बुड्ढा जब बोला करता,पीर छलक जाती थी।।

निज जीवन के पृष्ठ खोलकर,आज लगा वह पढ़ने।
कैसे बाबू ने समझाया,उच्च शिखर तक चढ़ने।।
उठकर बड़े सबेरे पहले,पाँव बड़ों के छूना।
इससे लाभ मिला करता है,प्रति दिन दूना-दूना।।
श्रम सोना उपजाता माँ यह,गुन-गुन-गुन गाती थी।
वह बुड्ढा जब बोला करता,पीर छलक जाती थी।।

एक दिवस की बात याद है,मुझसे लगा बताने।
खोल हृदय की गठरी अपने,मुझको लगा दिखाने।।
संयम की पूँजी से आँगन,का हर कोना महके।
और क्रोध ज्वाला से धू-धू,पूरा घर जल दहके।।
यह बुढ़िया के चित्त चमकती,शुभमय सँझबाती थी।
वह बुड्ढा जब बोला करता,पीर छलक जाती थी।


छंद-मत्तगयन्द सवैया

शारद वंदन

वंदन है नित वंदन शारद दे बुधि ज्ञान विशारद माता।
दीन मलीन महा दुखिया निशि-वासर टेर पुकारत माता।।
दृष्टि दया कर दे वर दे सुत तोर निहोर निहारत माता।
काव्य कला चित में भर के निज लाल कुसंकट टारत माता।।

झंकृत हों उर तार सबै अब आप कृपा निज आँचल दे दे।
नाव फँसी मझधार इसे अब हाथ लगा भव बाहर खे दे।।
भक्ति रसायन पान करे यह व्यूह पिशाचन को नित भेदे।
ज्ञान प्रकाश विकास करे शिशुता उर बीच इसे अब से दे।।

जागृत हो नित राम जपे यह राम रमापति को अनुरागे।
जो हर घाट निवास करें उनसे अब जोड़ दे प्रेमिल धागे।।
चित्त बसें अब वे करुणा पति जो गुरुदेव रहे नित पागे।
मंत्र महान सुतारक जो अब मंत्र वही हिय में इस जागे।।

छंद वही जिसमें जड़-चेतन सूत्र घना यह चाह रहा है।
पुष्प सभी महका करते वह गंध महान सराह रहा है।।
भीतर-बाहर नित्य मिले वह राम अनंत प्रवाह रहा है।
नित्य सुदर्शन हेतु पुकारत शारद मातु कराह रहा है।।

kundaliya-chhand-baba-kalpnesh

बाबा कल्पनेश
सारंगापुर-प्रयागराज

अन्य  रचना पढ़े :

आपको बुड्ढा जब बोला करता | शारद वंदन – बाबा कल्पनेश  की  स्वरचित  रचनाएँ कैसी लगी , अपने  सुझाव कमेंट बॉक्स में अवश्य बतायें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *