मेरा प्यार कभी मत खोना | प्रतिभा इन्दु
मेरा प्यार कभी मत खोना प्रियतम तेरी याद में कितनालगता जीवन सूना – सूना !याद करूँ जब प्यार के वो दिनसोच मुझे आता है रोना ! अरमानों के मेघ सघन … Read More
मेरा प्यार कभी मत खोना प्रियतम तेरी याद में कितनालगता जीवन सूना – सूना !याद करूँ जब प्यार के वो दिनसोच मुझे आता है रोना ! अरमानों के मेघ सघन … Read More
-आत्महत्या | Pitr paksh par kavita आजआत्महत्या कर लीएक गिरगिट ने आत्महत्या स्थल परसोसाइड नोट भी उसनेआत्महत्या से पूर्व लिखा कित्रस्त हूंउद्देश्यविहीन जीवन से रंग बदलते- बदलतेथक सा गया हूंमुझे … Read More
गुरु-पूर्णिमा के पावन अवसर पर पूज्य गुरुदेव को समर्पित एक गीत– शीर्षक:-चरणों में यह जीवन है। रोम-रोम में नाम तुम्हारा,सुधियों में छवि तेरी है,अनुप्राणित यह जीवन तुमसे,तुमसे दुनिया मेरी है। … Read More
1 .जीवन ही प्रेम है। मुहब्बत हर कण,हर क्षण में होता है,कोई खोकर पाता,कोई पाकर खोता है।पशु-पक्षी पेड़-पौधे,सबमें प्रकृति-प्रेम है,नजर तो जरा घुमाओ,सूक्ष्मता में भी स्नेह पाओ।सावन का प्रेमी है … Read More
फ़ानीदुनिया कोसत्य मान बैठनामूढ़ता की घोर पराकाष्ठा है यहां सुखसरसो औरदुःख एवरेस्ट है इसलिएसमय रहतेअहं की इमारत कोविवेक के बुल्डोजर सेढहा देना चाहिए इस फ़ानी कायनात मेंसब क्षणभंगुर हैकुछ भी … Read More
वे मासूम थेहांबिल्कुल मासूम थे कसूर क्या था उनकाबस इतना किनहीं खेल रहे थेकिसी खिलौनों से नहीं झूल रहे थे पार्क केकिसी झूले में बालपुस्तिकाभी नहीं थी हाथ में न … Read More
हर घड़ी याद आती रही है तेरी कट गई जिन्दगी बस-सफर में मेरी,हर घड़ी याद आती रही है तेरी।1। बागबॉ बन हिफाजत मैं करता रहा,हर कली में थी खुशबू समाई … Read More
शीर्षक:- परिभाषा लिखता हूॅ सम्बन्धों के धूप-छॉव की,परिभाषा लिखता हूॅ,टूटे दर्पण की पीड़ा-अभिलाषा लिखता हूॅ।टेक। मस्त नाचते मोर-मोरनी,जंगल की हरियाली में,चातक,दादुर खूब थिरकते,घिरी घटा मतवाली में।कोंपल कलिका व्यथित विरहिणी ,की … Read More
दोहा छन्द स्नेह लुटाते फिर रहे,निज की नहिं परवाह,मानवता कहती यही,आह कहो या वाह।1। जीवन शैली मिट रही,ढूँढें नये रिवाज,अधुनातन की दौड़ में,गिरवी रखते लाज।2। फैशन के इस दौर में,धर्म-शर्म … Read More
विश्व पर्यावरण दिवस पर – कहाँ रहिहैं चिऱइया? कटै बिरवा। घर के भराँव छपरा छानी हेराने,नहीं रहिं ग़इं अंगऩइया कटैं बिरवा।कहाँ रहिहैं चिऱइया? कटै बिरवा। जंगल काटि-काटि म़उजै मारत,सूखि परे … Read More
आ जा रे गौरैया सुन ले। आ जा रे गौरैया सुन ले,तुझको पास बुलाऊॅ।बैठ हथेली में तू मेरे,दाना तुझे खिलाऊॅ।1। दाना खाकर मन भर जाए,पानी तुझे पिलाऊॅगा,फुदक-फुदक तू ऑगन भर … Read More
२ जून की रोटी सारा दिन,धूप ओढ़कर,मज़दूरी जब होती ।तब जाकर के खानें को,दो जून की रोटी मिलती।सिर का पसीना बहते-बहते,जब पांवों तक आ जाता।पांच बजे के बाद में उसको,कुछ … Read More
कवि मन की व्यथालिखिबे कूँ अब कवित्त, होत नायं तनिक चित्त,लिखें कौन के निमित्त? नाक-भौं सिकोरी है।श्रोता मिल सकत नायं, काहू पै बखत नायं,बैठिबे कौ ठौर काँयं? टाट है न … Read More
नियंत्रण होनाचाहिए क्रोध पर क्रोध की कोख सेमूढ़ता जन्मती है मूढ़ता तब तक शांत नहीं होती हैजब तक बुद्धि नाश न हो जाय और बुद्धिनाश सेमनुष्य अपने स्थान से च्युत … Read More
मॉ की याद बहुत आती है,आकर मुझे रुला जाती है। तब तो इतना ज्ञान नहीं था,शर्म नहीं अभिमान नहीं था।सूखे – गीले जैसे भी थे,मैं कोई भगवान नहीं था।बड़े चाव … Read More