जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक

जो गलत है उसका विरोध करो | अभिमन्यु पाल आलोचक जो गलत है उसका विरोध करो निर्भीक बनो अवरोध करोजो गलत है उसका विरोध करो,यदि मानव हो तो मानव बनकरतुम … Read More

सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली

सखी नदिया की रेत तपे / आशा शैली सखी नदिया की रेत तपेप्रीत निगोड़ी सुनहु सखी,मरने ना जीने देसखी नदिया की रेत तपे जाने कब घन गगन घिरेकब साजन घर … Read More

आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र

आ जाओ गौरैया | डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र आ जाओ गौरैया आ जाओ गौरैया रानीफुदकती हुई मेरे छत परचीं चीं चूं चूं का स्वरमेरे सहन में बिखरा जाओतुम कैसी हो ?कहां … Read More

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश

होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More

मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ मीत बनायें होली में मनभावन रंग गुलाल,उड़े अब होली में,नित ऑचल नेह फुहार,पड़े अब होली में।सद्भाव विकास की,गंग-तरंग … Read More

औरत पर कविता | Kalpana Awasthi New Kavita

औरत पर कविता | Kalpana Awasthi New Kavita किन किन निगाहों से वो दो-चार होती हैऔरत क्यों सारी उम्र अखबार होती हैकभी मां बनी, कभी बनी बहनकभी बेटी बनी कभी … Read More

इन्हीं आंखों ने देखा है | डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

इन्हीं आंखों ने देखा है | डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र शिष्टजनक्याइन्हीं आंखों ने देखा है ?सारा मंज़रअपना छिनता हुआ बचपन‌‌ हां भाई देखा है‌‌ इन्हीं आंखों ने!‌ बाजार के गोलगप्पे जहां … Read More

गाओ गीत जगत हितकारी / बाबा कल्पनेश

गाओ गीत जगत हितकारी / बाबा कल्पनेश आज का छंद-माता परिचय-एकादक्षरावृत्ति गाओ गीत जगत हितकारी।पाओ मीत हृदय दुखहारी।।मिथ्या है सुख-दुख कर नाता।गाते वेद जगत यह गाता।। तोड़ो बंध सकल जग … Read More

बोलो कबीर / डॉ. सम्पूर्णानंद मिश्र

बोलो कबीर आशंका अविश्वासनकारात्मक सोचकी कुक्षि सेअहंकार और ईर्ष्या का उदय होता हैजिसका पथ जाता हैसीधे विनाश के गड्ढे मेंमाने बैठें हैं सत्य इसी कोकुछ तथाकथितजो छल, पाखंड, ढोंग और … Read More

होली के छंद / बाबा कल्पनेश

होली के छंद / बाबा कल्पनेश होली विधा-कुंडलिया होली की बोली सुखद,स र र र बोल कबीर।लाल कमल के जीत पर,जग में उड़े अबीर।।जग में उड़े अबीर,बुरा माने है कोई।लेकिन … Read More

होली पर कविता 2022: Holi Poem Kavita in Hindi | रंग लगाएं होली में

होली पर कविता 2022: Holi Poem Kavita in Hindi | रंग लगाएं होली में फागुनी रंग में रंगा प्रेरणा का एक होली गीत । नरेंद्र सिंह बघेल की रचना आपके … Read More

प्रकृति के “आंचल” | नरेंद्र सिंह बघेल की कविता

प्रकृति के “आंचल” की सौगात का एक दृश्य बिंब ,एक लघु प्रयास । भेद कर तम का प्रहर फिर ,भुवन भाष्कर आ गया ।धूप का “आँचल “सुनहरा ,फिर क्षितिज पर … Read More

नहीं रहा मन अपने वश में | मत प्यार कीजिए | Hindi Kavita

नहीं रहा मन अपने वश में | मत प्यार कीजिए | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ रोम-रोम में अकुलाहट है,पल-पल सुधि में घबराहट है,नहीं रहा मन अपने वश में,कुछ और नहीं फगुनाहट … Read More

बनजारों सा जीवन अपना | पीढ़ियॉ झेलेंगी,मार तेरे दंश की।

१. बनजारों सा जीवन अपना जब-जब याद करोगे प्रियतम,मलय सुरभि बन छाऊॅगा,बनजारों सा जीवन अपना,गीत प्रभाती गाऊॅगा ।टेक। पावन सरल सहज मनभावन,उर-वीणा के तार हमारे,तेरी सुधि की अमराई में,तान छेड़ते … Read More