माता वीणा पाणि की,जिस पर कृपा अपार / बाबा कल्पनेश

माता वीणा पाणि की,जिस पर कृपा अपार / बाबा कल्पनेश माता वीणा पाणि की,जिस पर कृपा अपार।अपने आँचल छाँव में,रखती उसे दुलार।। भाव सरोवर में खिले,पुलकित उसका भाल।नित-प्रति वंदन पद … Read More

ख़ारिज करता है पिता / सम्पूर्णानंद मिश्र

ख़ारिज करता है पिता / सम्पूर्णानंद मिश्र नहीं पनपसकता लघु पौधाबरगद की छांव मेंपिताख़ारिज करता हैउक्त कथनक्योंकिस्पष्ट अंतर दिखाई देता हैपिता और बरगद मेंजहां पिताआत्मीयजन कोअपना सिरमौर बनाता हैस्नेह के … Read More

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता | VISHVA HINDI DIWAS PAR KAVITA

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर कविता | VISHVA HINDI DIWAS PAR KAVITA हिंदी से पहचान हमारी,हिंदी हमको प्यारी।जय दे जय हो बोल-बोलकर,चलो बजाएँ तारी।।अँग्रेजों से लड़कर जिसने,दी हमको आजादी।एक नवल पहचान … Read More

लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ लक्ष्य बनाकर चलना सीखो,बन कर फूल महकना सीखो।1।धरा-गगन सब बनें सहायक,ऋतु सा रूप संवरना सीखो।2।मीठी सरस मधुर वाणी में,कोयल सा तुम कहना … Read More

यही पैगाम है मेरा | पैगाम | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

यही पैगाम है मेरा | पैगाम | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ यही पैगाम है मेरा रहें सब लोग मिलजुल करबने सुन्दर सहज डेरा,करें सब देश की सेवा,यही पैगाम है मेरा।टेक। न … Read More

सलीब / सम्पूर्णानंद मिश्र

सलीब / सम्पूर्णानंद मिश्र सलीब जीज़सतुम भोग-विलास के लिएनहीं जन्मे थेबल्कि किसीऔर प्रयोजन के लिएतुम्हेंडराया गयाविभिन्नयातनाएं दी गईंतुम्हारे ऊपरपत्थर फेंके गएबेथलहम मेंतुम्हें दुष्चरित्रघोषित किया गयाप्रलोभ के चक्रव्यूह मेंफंसाया गयादुर्योधन और … Read More

विशिष्ट रचना / सम्पूर्णानंद मिश्र

विशिष्ट रचना / सम्पूर्णानंद मिश्र विशिष्ट रचनाहोती हैंस्त्रियांविधाता कीनिष्कपट होती हैंनिस्वार्थ होती हैंसमर्पित होती हैंशब्दों के कटु वाणी के बाणका संधान नहीं करतीक्रोध की ज्वालाप्रज्वलित होने परकिसी पर तेज़ाब नहीं … Read More

कलुआ की मौत / सम्पूर्णानंद मिश्र

कलुआ की मौत / सम्पूर्णानंद मिश्र आज सुबह-सुबह ‌कलुवा कुत्ताठंड लगने सेमर गयाबहुत वफादार थाएक सशक्त पहरेदार थामानवीय मूल्यों में ‌कत्तई‌नहीं विश्वास थाआदमियों के चाल-चलनको दूर से ही भांपता थाखाकी … Read More

श्रद्धा बनाम छल | सम्पूर्णानंद मिश्र

श्रद्धा बनाम छल | सम्पूर्णानंद मिश्र नारी जब जबतुमको कुचला जाता हैहृदय दहल जाता हैअब तुम सीता लक्ष्मीअहल्या जैसी बन कर‌जी नहीं सकती होदिन में भी तुमसुरक्षित नहीं रह सकती … Read More

भारतीय संस्कार पर कविता | कवि सुखराम शर्मा | Poem on Indian Culture

भारतीय संस्कार पर कविता भारत माता धन्य, वक्षस्थल पर सभी संजोये है।  ज्ञान विज्ञानं के तत्व छिपे जो सभी जीव ने बोये है।  सत्कर्मो से जो कर्म किया, वह जन्मतः … Read More

मूक / सम्पूर्णानंद मिश्र

मूक / सम्पूर्णानंद मिश्र मूक मूकहोना आज बहुतजरूरी हैनिकल जाता हैजीवन की हर उलझन सेमूक व्यक्तिजो जितना बोलता हैउतना ही लड़ता हैबाहर और भीतर दोनोंहमेशावहअशांत रहता हैअहंकार कोघलुआ में ले … Read More

काली रात | सम्पूर्णानंद मिश्र

काली रात | सम्पूर्णानंद मिश्र (16 दिसंबर 2012) राष्ट्र कलंकित करने वालों कोसजा आखिर मिल गईसर्वोच्च न्यायालय के आदेश सेचार दरिंदों की गर्दनें झूल गईएक दिन भी ऐसा नहीं हुआजिस … Read More

आंसू भर रोए | प्रतिभा इन्दु | Hindi kavita

आंसू भर रोए | प्रतिभा इन्दु | hindi kavita आंसू भर रोए…………….. जितना ही खो कर पाया हैउतना ही पाकर खो डाला !दरवाजे पर हंस लेते हैंआंगन में आंसू भर … Read More

ये जुल्फ बड़े कातिल,सॅवारा जो आपने | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’

ये जुल्फ बड़े कातिल,सॅवारा जो आपने | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’ चाह कर भी तुमसे,रुसवा न मैं हुआ,इकबार नजर भर कर,निहारा जो आपने।1। कोई गिला शिकायत,तुमसे नहीं रही,अपना समझ के प्यार … Read More

कट जाने दो तन्हॉ | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

कट जाने दो तन्हॉ,जिन्दगी को यूॅ ‘हरीश ‘ हम बात मोहब्बत की,जुबॉ तक लाते हैं,वे बुरा न मान जायें,कह नहीं पाते हैं।1। गजब बेबशी है,हर एक जिन्दगी में,बस प्यार के … Read More