Corona kee upaj – कोरोना की उपज/ पुष्पा श्रीवास्तव “शैली”
Corona kee upaj – कोरोना की उपज / पुष्पा श्रीवास्तव “शैली”
कोरोना की उपज
खोल कर धरती की छाती पर,
कुठाराघात हा।
काट डाले तन उसी के,
पेड़ पौधे पात हा।
कुछ नहीं अब बस कुपित
मां को कटाई दीजिए।
वार है यह गर विदेशी,
हम नहीं लाचार होते।
मीत मेरे बाग वन जो,
आज मेरे साथ होते।
चीरता है शोरगुल हमको
दवाई दीजिए।
दर्द में भी खेलने का खूब
नया अंदाज है,
खेलना उनको है,बेटा हो या
कोई बाप हो।
डूबती है नाव बस उनको ,
डुबाई दीजिए।
प्यार से उस मुंह दिखाई की,
बड़ी प्यारी प्रथा।
हो गया अंधेर धरती पर भला,
कैसे पला।
मौत के पश्चात भी अब,
मुंह दिखाई दीजिए।
दर्द तो इतना बढ़ा संवेदना
ही मर गई,
जिंदगी ही जिंदगी को हाय,
कैसे छल गई।
हम चलेंगे साथ बस,
कंधा लगाई दीजिए।
श्रीमती पुष्पा श्रीवास्तव “शैली”
रायबरेली ।
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