एक और द्रौपदी-ek aur draupadee-डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र

 ek aur draupadee


एक और द्रौपदी

 

  मंडरा रहा है

 अविश्वास, झूठ

 छल,फरेब का ख़तरा

  चारों ओर

 जीना पड़ेगा

 सावधान सतर्क चौकन्ने

  चांपा जा रहा है गला

  विश्वास, सत्य

  साहस का

 अविश्वास,झूठ

‌‌ छल,फरेब ने

ईजाद कर लिया

एक छोटे-से रास्ते का

‌जो जंगलों के बीच से ही

होकर जाता है आज भी

 शहरों की ओर

 आदमखोरों ने

  नक़ली सभ्यता का

  लिबास उतार फेंका है

  खरोंच डाली है रवायत

  हैवानियत के नाखूनों से

   संस्कृति

   चींख चिल्ला रही है

   रक्षार्थ

    अपनी हालत पर

     बिलबिला रही है

   अमानुषिक जांघों

   पर रखकर तार- तार

  किया जा रहा है

  उसकी अस्मिता को

  अब भी छिपे हुए हैं

  दुर्योधन-दु:शासन

  मानवीय सभ्यताओं

  संवेदनाओं की भीड़ में

    तलाश रहे हैं

  एक और द्रौपदी !

      डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र


फूलपुर प्रयागराज   

      7458994874

हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।|आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है|whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444,  संपर्क कर कर सकते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *