फ़ानी दुनिया | सम्पूर्णानंद मिश्र
फ़ानी
दुनिया को
सत्य मान बैठना
मूढ़ता की घोर पराकाष्ठा है
यहां सुख
सरसो और
दुःख एवरेस्ट है
इसलिए
समय रहते
अहं की इमारत को
विवेक के बुल्डोजर से
ढहा देना चाहिए
इस फ़ानी कायनात में
सब क्षणभंगुर है
कुछ भी स्थायी नहीं है
सौंदर्य के दीवानों को
उसके पीछे की छुपी विद्रूपता
नहीं दिखती वैसे ही
जैसे मृग को
अपनी नाभि की कस्तूरी।
किसी तरुणी की त्वचा
की सुंदरता के उठते बुलबुले
को अपनी मुट्ठी
में बंद करना
दिवा स्वप्न ही तो है
बुलबुले
चाहे समुद्र का हो
या त्वचा की
वह दीर्घायु
नहीं है
इसलिए
भागो
जरूर भागो
लेकिन बाह्य
सौंदर्य के पीछे नहीं
क्योंकि
बाह्य सौंदर्य की
बुनियाद पर प्रेम का ख़ूबसूरत
महल कभी भी खड़ा
नहीं किया जा सकता है
सब क्षणभंगुर है
इस फ़ानी दुनिया में !
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874