Gauriya diwas par kavita/ दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश” रायबरेली

Gauriya diwas par kavita: प्रति वर्ष २० मार्च को  पूरा संसार विश्व गौरैया दिवस मनाता है जो पक्षियों के प्रति जागरूकता  को बढ़ावा देता है।  इस दिवस का मुख्य उद्देश्य गौरैया पक्षी को बचाना  है जिसे सबसे ज्यादा नुकसान मोबाइल के टावर से निकलने वाली किरणों से होता है इस कारण  उसकी प्रजाति को खतरा पैदा हो गया है। दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश” रायबरेली की रचना गौरैया को समर्पित है।

गौरैया


मेरे घर में सुबह-सुबह,
गौरैया आतीं हैं।
अपनी चोंच से पड़े हुए,
दाने खा जाती हैं।
चूं-चूं,चींचीं कर आपस में,
खूब झगड़तीं हैं,
मुझको ऐसा लगता,
जैसे खूब अकड़तीं हैं।
ऐसा दृश्य देखकर आंखें,
सुन्दर सुख पाती हैं।
सुबह-सुबह मेरे घर में,
गौरैया आतीं हैं।
पानी पीने की खातिर जो,
बर्तन रखा है।
उन गौरैयों ने उनको,
अच्छे से परखा है।
अपने पर फैलाकर उसमें,
खूब नहातीं है।
सुबह-सुबह मेरे घर में,
गौरैया आतीं हैं।
ये हैं मेरी मित्र सदा से,
इन्हें बचाना है।
अपने घर में इनके घोंसले,
हमें बनाना है।
पर्यावरण सुरक्षित रखती,
और उसे सजाती हैं।
सुबह-सुबह मेरे घर में,
गौरैया आतीं हैं।


Gauriya- diwas- par- kavita
दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश” रायबरेली

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