Hindi Ghazal Shukriya – शुक्रिया / सीताराम चौहान पथिक
Hindi Ghazal Shukriya – शुक्रिया / सीताराम चौहान पथिक
शुक्रिया
ऐ दोस्त , तेरे प्यार को ,
हर्गिज भुला ना पाऊंगा ,
एहसान तेरे इस कदर ,
कैसे इन्हें चुकाऊंगा ।
तूने कांटो की चुभन ,
ख़ामोश रह कर खुद सही ,
ऐ दोस्त – – तेरी जिन्दगी ,
नगमों में गाता जाऊंगा ।
दोस्त भी – – हमदम भी तू ,
हमराज कितने नाम दूं ,
तू बहार बन कर आई थी ,
ये बात मैं दोहराऊंगा ।
अब तू नहीं – साया है इक ,
कदमों से आगे चल रहा ,
तेरे नक्शे – कदम पर ,
कदमों को मैं बढ़ाऊंगा ।
अब जिंदगी इक भार है ,
बहार का मौसम गया ,
तेरी कहानी जिन्दगी के ,
साज पर सजाऊंगा ।
ऐ दोस्त तेरा शुक्रिया ,
खिजां में बहार बन गया ,
हर शायरी में तू – पथिक ,
तुझको अमर कर जाऊंगा ।।
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हमराज – जो दिल की बात जानता हो , खिजां – पतझड़
साज – पतझड़
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