Hindi kavita shabd- शब्द/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
शब्द
(Hindi kavita shabd)
बिल्कुल अच्छे नहीं लगते
शब्द जब शिकार
हो जाते हैं
आत्ममुग्धता के
और कर्म से कर लेते हैं
विच्छेद अपने संबंधों का
एवं अहंकार का किरीट पहने
एक छद्म हंसी की
अनुगूंज से
भयाक्रांत करने की कुचेष्टा में
समझने लगते हैं
अपने जीवन की सार्थकता
चेहरा शब्द का तब
और भी विकृत एवं भयावह हो जाता है
नष्ट कर देता है
जब पल रहे अपने ही
आत्मीय भावों को
जो देखने के लिए उत्सुक हैं
बाहरी दुनिया को
हाथ पकड़कर
ममता का दो कदम
चलने के लिए
प्रतिबद्ध हैं
और
उम्मीदों के पंख पसारकर
करना चाहते हैं दर्शन
सतरंगी दुनिया का
शब्द
अच्छे लगते हैं तब
जब ढल जाते हैं
मुकम्मिल कर्म में
और हर लेते हैं पीड़ा
लाते हैं अंजुरी भर मुस्कान
किसी असहाय अशक्त
बूढ़े के चेहरे पर
अच्छे लगते हैं शब्द
विधवा के आंसू पोंछने में
समझने लगे जब
अपने जीवन का असली अर्थ
और स्वयं बन जाते हैं
उसकी लाठी
बहुत खूबसूरत लगने लगते हैं
शब्द जब तोड़ देते हैं
शिल्प- विधान की
सारी चौहद्दी को
और नहीं बनने की ख़्वाहिश
पालते हैं महाकवि
और भी अच्छे
लगने लगते हैं यही शब्द
जब तुलसी की लेखनी से आविर्भूत होकर
उद्धार करते हैं किसी अहिल्या का
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874
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