Hindi poems|hindi kavita| हिंदी कविताएं

Hindi poems|hindi kavita| हिंदी कविताएं

आशीर्वचन तुम्हारे ही हैं

 जीवन   मे जो    भी सुन्दर  है

उसमे अपनी क्या      प्रभुताई

गीतों   मे    जो  गाता    रहता

आशीर्वचन   तुम्हारे    ही    हैं।

अहो !भाग्य जो  तुमको   देखा

और  निहारा जी भर    तुमको

मुझको आँख मिली ही कब थी

ये   तो   नयन  तुम्हारे  ही    हैं ।

सब  मुझको  विद्द्वान समझते

साधुवाद    देने     को    आतुर

लेकिन  मैने  जो   भी  लिक्खा

कथोपकथन    तुम्हारे   ही  हैं।

भक्ति  भाव  से मन  भर जाता

क्या अपना  जो लेकर   आता

श्रद्धा  सुमन  चढ़ाए   जो  भी

वो  भी  सुमन  तुम्हारे   ही   हैं।

अपना   और    पराया  क्या है

भेद भाव     की   बातें   झूठी

मन्दिर   मस्जिद  गुरुद्वारा  हो

सारे  भवन   तुम्हारे    ही   हैं ।


2. पत्थर  का देवता  है

होंठों पे  कोई   गीत

न आंखों मे ही नमी है।

पत्थर  का  देवता  है

लोहे  का   आदमी   है।

सम्बंध   रक्त   रंजित

असहाय   हो  रहे  हैं।

नि:शब्द्ता  के  चलते

विश्वास   खो   रहे  हैं।

धरती  मे   है   खराबी

कि आकाश  मे कमी है।

मर मर के जिया पानी

पाषाण   हो  गया   है।

आदिम युगों से बदतर

इंसान   हो   गया    है।

दिखता नही है कुछ भी

कहने  को   रोशनी    है।

बहुमत  की  हैं   घटायें

सच्चाई   क्या     करेगी।

चाहेंगी  जिस  जगह पर

बिजली   वहीं     गिरेगी।

दुश्मन की  क्या  जरूरत

आपस  मे  ही    ठनी  है।

सृष्टि कुमार श्रीवास्तव

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