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यह अपना नववर्ष | प्रतिभा इन्दु | Hindu Nav Vrsh Kavita

यह अपना नववर्ष | प्रतिभा इन्दु | Hindu Nav Vrsh Kavita

हवा बसंती , कोयल गाती
बैठ आम की डाली ,
मादक महुए के सुगंध से
हुई दिशा मतवाली ,
मधुमय मौसम बिखरा सौरभ
छाया है उत्कर्ष !
यह अपना नववर्ष !

पीले सरसों के फूलों से
धरती महक रही है ,
झूम रही गेंहू की बाली
सांसें बहक रही हैं ,
भ्रमर और कलिका में दिखता ,
मधुर प्रणय उत्कर्ष !
यह अपना नववर्ष !

आई होली रंग लगा लो
पीला और गुलाबी ,
मधुरस पीकर गोरी भी बन
बैठी आज शराबी ,
नव उमंग लाया अनंग
सब मना रहे हैं हर्ष !
यह अपना नववर्ष !

प्रतिभा इन्दु

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