kalam aur talavaar-कलम और तलवार/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

kalam aur talavaarडॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र  की  रचना  कलम और तलवार   पाठको  के सामने  प्रस्तुत  है जो हमे सन्देश देती है कलम और तलवार में तुलना नहीं हो सकती जहाँ कलम हिंसा- विरोधी है वही तलवार हिंसक प्रवृति का सूचक है इन सभी बिंदुओ का समावेश है ये कविता तो प्रस्तुत है रचना पाठको के समक्ष 

कलम और तलवार


बहुत फ़र्क है दोनों में
नहीं हो सकती तुलना
कलम और तलवार में
एक हिंसक
दूसरी हिंसा- विरोधी
एक रक्तपथगामी
दूसरा द्वार है
शोषण मुक्ति का
एक की साधना से
स्रवित होते हैं
आंसू ख़ुशी के
तो दूसरी में
आती है गंध
दमित वासनाओं की
एक में सन्निहित है
भाव श्रद्धा के
तो दूसरी तोड़ती है
श्रद्धा के प्राचीर
एक चलती है
किसी विधवा के
आंसू पोंछने के लिए
तो दूसरी वैधव्य की माला
पहनाने के लिए
किसी सधवा के गले में
नहीं तुलना हो सकती है
कभी भी कलम और तलवार में

kalam- aur- talavaar
डॉ. सम्पूर्णान्द मिश्र

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