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क्या बना दिया / विलक्षण उपाध्याय (भारमल गर्ग)

क्या बना दिया ?

देख रहे हो ऐसे यह तुमको नहीं ख़बर
यह आद’मी था कभी धुआं बन गया ।।

जिस मांझी ने हमको बताया तू है कहां ?
उस मांझी ने दिखाया मेरा हुनर बन गया ।।

पल भर की खुशियां किसको नहीं पता
उन रेशमी धागों ने जीवन बना दिया ।।

मैं जा रहा था अकेला इक रस्ते से कहीं
इक खिड़की ने देखा दिन बना दिया ।।

सोच रहे हो जिसको वो नहीं आज कल
मसअ’ला देखते ही वीराना बना दिया ।।

नज़रों का तो हैं यह सारा खेल मेरे दोस्त
मैं सोचने लगा कि तुझे क्या बना दिया ।।

यह तुम्हारा सोचना हैं बड़ी सोचने की बात
तू समझा नहीं तुझे आशिक़ बना दिया ।।

उस साख से पत्ता टूटते ही लगी ख़बर
इक घर के दीए को तारा बना दिया ।।

आई हवाएं सुरीली जैसे कोई मीत संगीत
विलक्षण तेरी यादों ने क्या-क्या बना दिया ।।

••• विलक्षण उपाध्याय (भारमल गर्ग)
उपखंड – सांचौर, जालोर (राजस्थान)
bharmalgarg2016@gmail.com
bhamugarg@gmail.com
+91-8890370911

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