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मेरा प्यार कभी मत खोना | प्रतिभा इन्दु

मेरा प्यार कभी मत खोना


प्रियतम तेरी याद में कितना
लगता जीवन सूना – सूना !
याद करूँ जब प्यार के वो दिन
सोच मुझे आता है रोना !

अरमानों के मेघ सघन बन
हृदय गगन -पट पर छाये हैं ,
जबसे तुम आये जीवन में
नूतन चाँद निकल आये हैं !
तू मचले दिल की धड़कन में
मेरा प्यार कभी मत खोना !

आशाओं का दीप जलाकर
बैठी हूँ तेरी राहों में ,
मन की चाहत पूछ रही है
कब लोगे मुझको बाहों में ?
जब भी ख्वाबों में तू आए
लगे चाँद सा रूप सलोना !

तेरी यादों के मधु – रस में
महक उठा है मेरा तन – मन ,
तेरा – मेरा मधुर प्यार यह
लगता है जन्मों का बंधन !
ऐसे मैं बतलाऊंँ कितना
खलता है तेरा ना होना !

प्रतिभा इन्दु .

बात नहीं अब होती है


ना आंसू हो इन आंखों में
वो रात नहीं अब होती है ,
कैसे कह दूँ प्रियतम से मेरी
बात नहीं अब होती है ।

सुनसान अंधेरी रातों में
जब आंखें खुद खुल जाती हैं ,
तेरी यादें बूंदें बनकर आ
तकिए पर सो जाती हैं ।

ना फिर तुम तन्हा होते हो
ना मैं तन्हा रह जाती हूंँ ,
जो बात अधूरी थी अबतक
मैं सब तुमसे कह जाती हूं ।

तुम जब-जब सम्मुख होते हो
हर गम जैसे खो जाता है ,
कुछ पता नहीं कब रात गई
कब अगला दिन हो जाता है।

मैं यही सोचती रहती हूँ
चलती-फिरती जब राहों में ,
कब होगा मधुर मिलन अपना
तुम होगे मेरी बाहों में ।

प्रतिभा इन्दु .

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