मृत्यु हिंदी कविता-डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र
मृत्यु हिंदी कविता-डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र
मृत्यु
शाश्वत सत्य है मृत्यु
आती है जीवन में एक बार
नहीं भयभीत होना चाहिए
यह विश्व सुंदरी होती है
कोई अज्ञानी ही
ठुकरा सकता है इस प्रेम को
दर्शन करना चाहते हैं
बड़े- बड़े योगी
प्रेम करते हैं इससे
कला सिखाती है यह
जीवन जीने की
ताकि कुतरा जा सके
हैवानियत के नाखून को
भेदा जा सके
मायावी चक्रव्यूह को
त्रिलोक – कल्याण के लिए
और मुक्त किया जा सके
शंबरासुर के अघों से
कोई कामदेव जर जाता है
और प्रसूत हो जाता है
रुक्मणि के गर्भ से
प्रद्युम्न बनकर
निकाल देती है मृत्यु
माया के भंवरजाल से
प्रेमी जब बन जाता है
मनुष्य इसका
तब तोड़ देता है सारे बंधनों को
गिरा देता है
ईर्ष्या की चहारदीवारी को
खुल जाती है प्रक्षा- चक्षु उसकी
तब नहीं रोता है
किसी आत्मीय की मृत्यु पर
मनाने लगता है उत्सव
नृत्य करने लगता है
झूमने लगता है
मिट जाता है उसका स्व
पर के लिए जीने लगता है
करता है मृत्यु की
प्रतीक्षा अनवरत
क्योंकि बोध हो जाता है
शाश्वत सत्य है मृत्यु जगत का
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डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र |