Mrtyu kee he apsara/सीताराम चौहान पथिक

मृत्यु  की हे अप्सरा

(Mrtyu kee he apsara)


मॄत्यु की हे अप्सरा ,
आना पथिक के पास ।
हॄदय में ‌श्री राम हो ,
सर्वत्र उनका वास ।

मॄत्यु की——
चन्द्र की चंचल  किरण ,
मुख चूम करती हास ।
आनंद  ही आनंद हो ,
नहीं स्वप्न में भी त्रास ।

मॄत्यु की ——
सूर्यं अस्ताचल- मुखी हो ,
अधर पर मधु हास ।
धीरे – धीरे पग बढ़ाना ,
नू- पुर बजा कर पास ।

मॄत्यु की ——-
दीप घर – घर में जले हों ,
तारों भरा आकाश ।
राष्ट्र – प्रहरी सजग हो ,
मन में भरा विश्वास ।

मॄत्यु की ——
मेरे मन – मन्दिर में आना ,
बैठ  जाना पास ।
राम – धुन हो बज रही ,
तब ही बढ़ाना हाथ ।

मॄत्यु की —–

Mrtyu- kee- he- apsara
सीताराम चौहान पथिक

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