नया साल आ रहा है | सम्पूर्णानंद मिश्र | Naye Saal Par Kavita 2023
नया साल आ रहा है | सम्पूर्णानंद मिश्र | Naye Saal Par Kavita 2023
अपनी आत्मा पर
कितनी नृशंस
घटनाओं का बोझ
लादे
दिसंबर माह जा रहा है
लूट-पाट,हत्या, बलात्कार
जैसे
जघन्य पाप का साक्षी
भले ही और महीना रहा हो
लेकिन
कसूरवार
दिसंबर ही होता है
जैसे
घर में
न कमाने वाले बेटे की
मेहर को
परिवार के
पापों की गठरी
बिना किसी प्रतिरोध के
उठानी पड़ती है
और
उसकी आंखों
के एक कोने में
पड़ा सुषुप्तावस्था में
उसका आक्रोश
उसके पति की नपुंसकता के
ख़िलाफ़ खड़ा होता है
लेकिन
फिर
आक्रोश उसका
गरजू
बनिए की तरह
नरम पड़ जाता है
क्योंकि
सौदे में
जब कीड़े
अपना आशियाना बनाने लगे
तो वह
न खाते बनता है
न फेंकते
यह समय की ही नियति है
कि
क्रम में जो
दिसंबर की तरह छोटा होता है
उसकी पीठ पर
बोझ रखने का
लाइसेंस
बड़ों को स्वयं मिल जाता है
नया साल एक
एक बार फिर
आ रहा है
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874