क्रोधाद्भवति सम्मोह: | सम्पूर्णानंद मिश्र
नियंत्रण होना
चाहिए क्रोध पर
क्रोध की कोख से
मूढ़ता जन्मती है
मूढ़ता तब तक शांत नहीं होती है
जब तक बुद्धि नाश न हो जाय
और बुद्धिनाश से
मनुष्य अपने स्थान से च्युत हो जाता है
या यूं कहें
तो क्रोध के पूरे खानदान
से बचना चाहिए हम लोगों को
द्वेष
दादा है क्रोध का
भय पिता है
जिनसे क्रोध स्वयं डरता है
क्रोध की मां उपेक्षा
अहंकार बड़ा भाई है
बेटियां निंदा और चुगली हैं
क्रोध का बेटा बैर है
क्रोध की नकचढ़ी
एक बहू भी है
जिसका नाम ईर्ष्या है
जो अपने
रूप लावण्य की आंच में
मनुष्य को जला देती है
क्रोध की पोती घृणा
सद्भावना की जड़ों को
खोखली कर देती है
दूसरे शब्दों में कहें कि
यदि मनुष्य क्रोध के
खानदान से
रिश्ता जोड़ता है
तो वह असमय
ही कालकवलित हो जाता है
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874