Param Hans Maurya ki gajal
कुछ खोया था कुछ पाया था।
हर तरफ नफरतों का साया था।
गम में डूबा था दिल चारो तरफ तन्हाई थी फिर भी मैं कदम कदम पे मुस्कुराया था।
अपनो की भीड़ में जब अपना ढूंढने निकला तो सब के सब मतलबी मिले हर कोई यहां पराया था।
किसी ने आस तोड़ी तो किसी ने विश्वास अंत में वो भी गैर निकला जो दिल में समाया था।
काम पर से लौटा तो घर में सबने पूछा क्या कमा के लाए एक मां ही थी वो जिसने पूछा बेटा कुछ खाया था।
मेरी लास को मल मल कर सब साबुन से नहला रहे थे जबकि मरने से पहले हमने नहाया था।
परम हंस मौर्य गीतकार शायर साहित्यकार रायबरेली उत्तर प्रदेश भारत फ़ोन 7235806046