आत्महत्या | सम्पूर्णानंद मिश्र
-आत्महत्या | Pitr paksh par kavita
आज
आत्महत्या कर ली
एक गिरगिट ने
आत्महत्या स्थल पर
सोसाइड नोट भी उसने
आत्महत्या से पूर्व लिखा
कि
त्रस्त हूं
उद्देश्यविहीन जीवन से
रंग बदलते- बदलते
थक सा गया हूं
मुझे पता नहीं
कि मूल रंग क्या है मेरा
मुझे
समझने वाला कोई नहीं
रंग बदलना
नहीं निर्भर है जबकि
मेरी अपनी इच्छा पर
क्रोध में था वह बहुत
कुछ नाराज़ था
सृष्टि-रचयिता से
कहा धिक्कार है
मेरा जीवन
असफल हूं इस धरा पर
गिरगिट की जगह
अगर कीट पतंग का
जन्म होता
तो नहीं ओढ़ना होता मुझे
बदनामी की चादर
रोज़-रोज़
हे ईश्वर!
मुझे क्षमा करना
आत्महत्या करने के लिए
मुझसे और अब
रंग नहीं बदला जाता
रंग बदलने की कला
धरा के
मनुष्यों को ही मुबारक
कल तक जो
घड़ों आंसू रुला रहे थे
अपने पिता को
आज पितृपक्ष में
पूर्वजों की आत्मा की शांति
के लिए सुबह से ही
कौओं को बड़े प्रेम से बुला रहे हैं!
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874