अहंकार पर कविता- अहं | Poem on Ahankar in hindi
अहंकार पर कविता- अहं | Poem on Ahankar in hindi
डॉ सम्पूर्णानंद मिश्र की हिंदी कविता अहं संदेश देती है कि अहंकार रोग है इसका इलाज जरुरी है मानव जीवन में , अगर इलाज न हो तो शरीर को नुकसान पंहुचा सकता है। परमात्मा तक पहुंचने के लिए अहं को समाप्त करना होगा , रावण और कंस की मृत्यु का कारण अहं बना , इसलिए हमे इसको समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
अहं
अहं एक रोग है
इलाज न हो
समय पर इसका तो
अहं का ज़हर
क्षत-विक्षत कर देता है
शरीर के सारे अवयव को
बहुत बड़ा बाधक है यह
आध्यात्मिक उत्कर्ष में
अहं निर्माण करता है
एक प्रशस्त पथ
काम, क्रोध और लोभ का
अप्रतिम परिचायक हैं
रावण और कंस इस बात के
शरीर रूपी दरख़्त के
शीर्ष को छूती है जब
अहं की लता
तो भहराकर गिरने से
नहीं कोई रोक सकता है
उस दरख़्त को
तो क्या यह मान लिया जाय
कि अहं एक हाला है
जिसका नशा
बुद्धि और विवेक दोनों की
धीमी हत्या करता है
और नहीं प्रशांत होने देता है
हमारे काम क्रोध और लोभ
के ज्वालामुखी को
सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
अन्य रचना पढ़े :
आपको अहंकार पर कविता- अहं | Poem on Ahankar in hindi / सम्पूर्णानंद मिश्र की स्वरचित रचना कैसी लगी , अपने सुझाव कमेन्ट बॉक्स मे अवश्य बताए अच्छी लगे तो फ़ेसबुक, ट्विटर, आदि सामाजिक मंचो पर शेयर करें इससे हमारी टीम का उत्साह बढ़ता है।
हिंदीरचनाकार (डिसक्लेमर) : लेखक या सम्पादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ सम्पादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। हिंदी रचनाकार में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं और हिंदीरचनाकार टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।|आपकी रचनात्मकता को हिंदीरचनाकार देगा नया मुक़ाम, रचना भेजने के लिए help@hindirachnakar.in सम्पर्क कर सकते है| whatsapp के माद्यम से रचना भेजने के लिए 91 94540 02444, ९६२१३१३६०९ संपर्क कर कर सकते है।