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अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस | Poem on International Justice Day

अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर कविता – रश्मि संजय श्रीवास्तव -Poem on International Justice Day

अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस


अपनेपन से भरपूर
मिलेगा समाज!
सुनी जाएगी एक नये रूप में..
स्त्री की भी आवाज़!
देश-विदेश के हर कोने से..
कल्पनाओं ने थामी है बाॅंह!
निखरेगी संपूर्णता की हरी-भरी नव-राह..
सात समंदर पार के सपने..
बिखर आते हैं आंगन में अपने!
सुना है ईश्वर नहीं करते अन्याय‌‌!
तो लगता है कि अब मिलेंगे हर स्त्री को
उसके सारे हक..
नहीं टूटेंगे उसके अनगिनत
अनुबंध,
ना ही बटेंगे उसके सम्मान के रंग..
प्रस्तुत करेंगे विश्व पटल पर
नारी का एक सुसंस्कृत रूप…
तमाम ऊर्जा के साथ!
नहीं उमड़ेंगे..उसके बेबस अश्रु..
कुछ उदास.. बेहिसाब!
अन्तर्राष्ट्रीय न्याय दिवस पर
लगता है होगी एक नई शुरुआत..
मिलेगा हर महिला को समुचित सम्मान..
नहीं घोटा जाएगा गला
किसी अपरिपक्व, भावी बेटी का
शायद हो जाएगा खा़त्मा अब
हर बेअदब कुरीति का!

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रश्मि संजय श्रीवास्तव
(रश्मि लहर)
लखनऊ

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