परीक्षा पर व्यंग्यात्मक कविता | Poem on Exam in Hindi – परीक्षा पर कविता

परीक्षा पर व्यंग्यात्मक कविता | Poem on Exam in Hindi – परीक्षा पर कविता

परीक्षा

बोर्ड परीक्षा में
एक परीक्षार्थी ‌नकल‌
करते हुए पकड़ा गया ‌
बहुत रोया‌ चिल्लाया
अपने तर्क से
जिला विद्यालय निरीक्षक
से मुक्ति पाने का हर उपाय लगाया
एक भी तर्क उसका
जिला विद्यालय निरीक्षक
को न भाया
बोले‌ जानते नहीं
नकल‌ करना संज्ञेय अपराध‌ है ‌
जेल भी जा सकते हो
वह थोड़ा ‌घबराया‌
सर‌ इस‌ बार‌ छोड़ ‌दीजिए
उन्होंने कहा पिताजी
क्या करते ‌हैं ?
सर, ईंटों ‌का भठ्ठा‌ है ‌
यह सुनकर भीतर ही भीतर
वे मुस्कुराये
‌विद्यालय के प्रधानाचार्य ‌से सांकेतिक भाषा ‌में
निरीक्षक महोदय ने ‌
कुछ ‌कहा
घुटा‌ हुआ प्रधानाचार्य
सारा खेल ‌समझ‌ गया ‌
उस छात्र ‌के‌ अभिभावक ‌को
फ़ौरन बुलवाया ‌
कहा आपके बेटे ने ‌
संज्ञेय अपराध किया है
नकल करते हुए ‌पकड़ा गया है
कहा साहब छोड़ दीजिए ‌
अब दुबारा ऐसी ‌गलती
नहीं ‌ करेगा
भविष्य ‌खराब हो जायेगा
मैं आपकी खिदमत में
खड़ा हूं साहब ‌
प्रधानाचार्य और निरीक्षक महोदय
दोनों खिलाड़ी थे
परीक्षा की पीच ‌पर
इससे पहले भी
उनके द्वारा कई खेल खेला गया था
प्रधानाचार्य ने कहा
दस ट्रैक्टर ईंट
आज ही साहब के
यहां गिरवा दो‌
उसने कहा साहब!
ईंटें बहुत मंहगी ‌है‌
पांच गिरवा देता हूं ‌
बच्चे को छोड़ दीजिए
प्रधानाचार्य ने कहा
आज की मंहगाई से
परिचित ‌नहीं हो
कहा साहब !
अब इस धंधे में ‌
ज़्यादा बचत नहीं है
‌छोटा आदमी हूं
अभी-अभी ‌इस धंधे में ‌आया हूं
कुछ और तरह का गिफ्ट
आपके लिए लाया हूं ‌
बात दस के नीचे नहीं बनी
अगले ही दिन यह घटना
हिंदुस्तान समाचार-पत्र में छपी‌
आर्थिक मंदी के प्रभाव में
एक ‌व्यक्ति ने राष्ट्र‌-हित में ‌
दम तोड़‌ दिया
उधर राष्ट्र-हित में
जिला विद्यालय निरीक्षक
के यहां
ईंटो ‌का गिरना जारी था

डॉ०सम्पूर्णानंद मिश्र
शिवपुर वाराणसी
7458994874

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