पोषक रक्षाबंधन है /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
पोषक रक्षाबंधन है /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
पोषक रक्षाबंधन है
भाई-बहन के अमर प्रेम का,
पोषक रक्षाबंधन है ,
धन्य देश की पावन माटी,
कण-कण जिसका चन्दन है।।
रेशम के दो धागों में ही,
विश्वास अपार भरा है।
स्नेह-सुयश की सतत कामना,
सुखदा सम्बन्ध खरा है।
रिमझिम सावन की बूँदों से,
खिला-खिला उर-नन्दन है।।
भाई-बहन के अमर प्रेम का,
पोषक रक्षाबंधन है।1।
धन्य सनातन विश्व पूज्य यह,
भरत-भूमि की थाती है ।
एक,नेक,बन रहें अखंडित,
राष्ट्र – धर्म सिखलाती है ।
अमर रहे यह पुण्य-संस्कृति,
मलय करे नित वन्दन है ।
भाई-बहन के अमर प्रेम का,
पोषक रक्षाबंधन है।2।
देश-काल की विषम परिस्थिति,
जीवन-मूल्य बचाना होगा।
वन्दनीय प्रिय मातृशक्ति यह,
बेटी का मान बढ़ाना होगा ।
समीचीन अति ज्वलंत समस्या,
करना सबको मन्थन है ।
भाई-बहन के अमर प्रेम का,
पोषक रक्षाबंधन है।3।
हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश,’
रायबरेली (उ प्र) 229010
9415955693,9125908549
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