seema se sainik/सीताराम चौहान पथिक

सीमा से सैनिक ।।

(seema se sainik)


जागो जागो देश -वासियो ,
सीमा  से सैनिक आया है ।
आंचल मां का मैला ना हो  ,
स्मरण  तुम्हें करवाया है ।

सीमा पर दुश्मन को देखो ,
कैसा    कहर  मचाया है ।
मां का दूध-कर्ज माटी का ,
चुकाने का अवसर आया है।

कितने बेटे बलिदान हुए ,
ताबूतों   ने   हमें  रुलाया है ।
उठो संभालो भारत का ध्वज,
नहीं झुके – तुम्हें चेताया है ।

राणा    प्रताप   की धरती पर ,
विभीषण जयचंद का साया है
मीर जाफर से देशद्रोहियों ने ,
दुश्मन को सिर बिठलाया है ।

राजनीति की बातें छोड़ो ,
मां पर संकट गहराया है ।
आज एक होने का अवसर
झांसी  – चितौड़ सा आया है ।

राष्ट्र- विरोधी नेताओं ने ,
छद्म जाल     फैलाया    है ।
केवल कुर्सी हथियाने को ,
कॄत्रिम यह स्वांग  रचाया है ।

जागो युवाओं और देशवासियो ,
सीमा से सैनिक आया है ।
ताबूत-तिरंगे  में लिपटा शव ,

पथिक – उसी की छाया है।

seema -se- sainik
सीताराम चौहान पथिक

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