shahar mein karphyoo-शहर में कर्फ्यू/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र

shahar mein karphyoo : प्रस्तुत रचना शहर में कर्फ्यू/डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र की यह सन्देश देती है कि आज जब मानव अपने घर से निकलता है तो उसे संदेह रहता है कि वह अपने लक्ष्य तक पहुंच पायेगा यहाँ लक्ष्य तक पहुंचने का अर्थ है कि वह अपने गंतब्य पर पहुंचने के बाद घर तक   पुनः लौट पायेगा की नहीं और अगर उस पर  व्हाट्सप्प सन्देश आ जाता है घर से तो मन और भयभीत हो जाता है प्रस्तुत है रचना 

शहर में कर्फ्यू


ठंडे पड़ गए रिश्ते
पाला मार गया
नहीं खड़ा हो सकता
अपने पैरों पर अब वह
बैसाखी ने भी
खो दिया है अर्थ
हताश है किसान
नहीं थी ऐसी आशा
बुझ गई है उम्मीद
कच्चा ही रह गया आलू
नहीं है अब साधन कोई
पकाया जा सके उसे
कैसे गरमाहट आएगी
दौर कठिन है
झड़ रहे हैं
पीले पात सदृश
संबंध सभी
एक समय था
पता न होने पर भी
पहुंचा जा सकता था
मंज़िल तक
आज पहुंच जाता है
कहीं और
सोशल मीडिया का दौर है
एड्रेस पूरा है
सूर्यास्त और रात्रि
के बीच का समय
बज रही
मोबाइल की घंटियां
डराती हैं
बढ़ जाती हैं धड़कनें
आया हुआ संदेश
ह्वाट्सएप पर
पप्पू का अपहरण
और फिर हत्या
सांध्यकालीन
समाचार-पत्र की कटिंग
कि शहर में कर्फ्यू
एक गंभीर सदमे में ला देता है
दीपू के पिता को

shahar- mein- karphyoo

डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874

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  1.  साधक और सिद्ध
  2. उपन्यास के दुःखद पृष्ठो 

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