हिंदी पर छोटी सी कविता | short poem on hindi diwas

हिंदी पर छोटी सी कविता | short poem on hindi diwas

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हिन्दी का खोया सम्मान।

संविधान  ने देवनागरी हिन्दी ,
को       सम्मान    दिया ।
जन-जन   की   भाषा  हिन्दी को
राष्ट्र- भाषा नाम दिया ।।

राजनीति ने हाय कुटिल चालो से ,
इसको     दमन    किया ।
अंग्रेज़ो की बात करें क्या  ,
अपनों ने विष-वमन किया।

कर्ण धार मेरे भारत के ,
अंग्रेजी घुट्टी पी कर आए
भूल मातॄ भाषाएं अपनी ,
अंग्रेजी का ढोल बजाए

दिया राष्ट्र-भाषा निष्कासन ,
मैकाले के पूत कहलाए ।
विश्व समर्थित हिन्दी को ,
कथनी-करनी के दाग़ लगाए।

हिन्दी अपने घर के भीतर ,
दासी है इनके ही कारण ।
जागो हिन्दी के शुभ चिन्तक,
केसरिया अब कर लो धारण ।।

बीते सप्त दशक फिर भी ,
नहीं हिन्दी सुधि नेताओं को।
अवसरवादी सत्ता – दलाल ,
नहीं चयन करो नेताओं को।

जन-मत का है अधिकार तुम्हें
अब मताधिकार उपग्रह छोड़ो ।
जो हिन्दी के संरक्षक  है ,
सत्ता से अब उनको जोड़ों ।।

हिन्दी से हिन्दुस्थान बना ,
संस्कृत की बेटी हिन्दी है ।
भारत माता के मस्तक की ,
मन-भावन हिंदी बिंदी  है ।।

प्रण करो सभी हिन्दी के दिन,
काले अंग्रेज़  भगाने हैं ।
हिन्दी को राष्ट्रभाषा गौरव ,
नव – सत्ता से दिलवाने हैं।।

हिन्दी के संग  सभी भाषा ,
सम्मानित होंगी भारत में ।
अंग्रेजी   पथिक  पराश्रयी ,
जग – शोभित हिन्दी भारत में ।।
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सीताराम चौहान पथिक

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