Smay par kavita poem in hindi/समय-कल्पना अवस्थी
समय
(Smay par kavita poem in hindi)
समय अच्छा और बुरा दोनों आता है
और यह समय किस कदर उंगली पर नचाता है
समय ने ना जाने कितनों को हँसाया है
इसी समय ने ना जाने कितनों को रुलाया है
समय ने कराई महाभारत अपनों में ही
और समय ने ही अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फँसाया है
समय ने ही उतरवाई द्रौपदी की साड़ी
और समय ने ही अर्जुन को भीलों से लुटवाया है
समय बलवान है यह किस कदर बल दिखाता है
समय अच्छा और बुरा दोनों आता है।
समय ने ही कैकेयी की मति मार,
राम को वन भिजवाया है
समय ने ही, हरिश्चंद्र को,
इक डोम घर पानी भरवाया है
समय ने ही कृष्ण को राधा से अलग कराया है
समय ने ही राम को, वन-वन में भटकाया है
समय का यह चक्र किस कदर घुमाता है
समय अच्छा और बुरा दोनों आता है
बुरे समय ने आकर हमें बहुत कुछ सिखाया है
कौन अपना है कौन पराया, यह सच दिखाया है
अच्छे समय ने हमें सिखाया, हर दुख के बाद मैं आऊँगा
समेट लो खुशियाँ जितनी है, मैं ज्यादा रुक ना पाऊँगा
समय ने कहा मै झूला हूँ कभी आगे तो कभी पीछे
हर मनुष्य वही पाएगा जो पौधे उसने सींचे
जीवन में उतारने वाली सीख से समय मिलाता है
‘कल्पना’ ये तो समय है, अच्छा-बुरा जैसा हो बीत जाता है
कल्पना अवस्थी
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