सृजन-गीत कब गायेगा | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’
सृजन– गीत कब गायेगा | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ विश्व परिदृश्य का समसामयिक गीत सृजन – गीत कब गायेगा। कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब … Read More
सृजन– गीत कब गायेगा | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ विश्व परिदृश्य का समसामयिक गीत सृजन – गीत कब गायेगा। कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब … Read More
होली | तोमर छंद | बाबा कल्पनेश होली विधा-तोमर छंद कर होलिका का दाह।कह कौन करता आह।।प्रह्लाद जपता राम।पाता जगत विश्राम।। तब ही मनाते सर्व।हर वर्ष होली पर्व।।रे मूढ़ मन … Read More
मीत बनायें होली में | होली सम्बन्धी दोहे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ मीत बनायें होली में मनभावन रंग गुलाल,उड़े अब होली में,नित ऑचल नेह फुहार,पड़े अब होली में।सद्भाव विकास की,गंग-तरंग … Read More
नवल सृजन के अंकुर फूटें शान्ति दूत बन काल-चक्र को,हमें नियंत्रित करना होगा ,रक्षा कातर मानवता की,सत्य-न्याय हित करना होगा। टेक। उजड़ा घर , वीरान शहर है,विश्वपटल पर मचा कहर … Read More
१. बनजारों सा जीवन अपना जब-जब याद करोगे प्रियतम,मलय सुरभि बन छाऊॅगा,बनजारों सा जीवन अपना,गीत प्रभाती गाऊॅगा ।टेक। पावन सरल सहज मनभावन,उर-वीणा के तार हमारे,तेरी सुधि की अमराई में,तान छेड़ते … Read More
बसंत पंचमी पर कविता | POEM ON BASANT PANCHAMI IN HINDI बसन्त पंचमी के पावन अवसर पर,लोक कल्याण की कामना से मॉ शारदे के श्री चरणों में सादर समर्पित भाव-सुमन:- … Read More
सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है | सजल | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘ हरीश’ सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है। सिलसिला यादों का ,चलने दीजिए,ख्वाब सा ख्यालों में, रहने दीजिए।1। मैं … Read More
जागरण गीत अब तो तू उठ जाग,भला क्यों सोया है ,चिन्तन कर सौ बार,कहॉ क्या खोया है।टेक। कण-कण रक्त सनी यह धरती,गुम सुम गंगा – जमुना बहती ।तरु-तर में आक्रोश … Read More
तेरी सुधि की अमराई से | हिंदी कविता | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश तेरी सुधि की अमराई से तेरी सुधि की अमराई से,मलय सुरभि ले आता है।मेरी उखड़ी सॉसों को प्रिय,सन्देश … Read More
चलो गगन में तितली बनकर । Hindi Poem for Kids चलो गगन में तितली बनकर,दूर घूम कर आयें हम ।देखें कितनी सुन्दर दुनिया,शाम ढ़ले घर आयें हम।टेक। बड़ा अजूबा लगता … Read More
रचनाकार हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ की हिंदी कविताएं बाल आवाहन १. आओ हम संकल्प नया लें ले लो दीप दिवाली आई,होंठों पर फिर लाली छाई ।1। नूतन का हम स्वागत करते,उपवन … Read More
दे दे रे करवा मॉ वर दे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश‘ दे दे रे करवा मॉ वर दे,अमर सुहाग रहे सबका ।स्नेह -सिन्धु में गोता खायें,मस्त मुदित हो हर तबका … Read More
मानव धर्म अटल हो जाये / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ रख दो पावन पद रज मस्तक,जीवन धन्य सफल हो जाये।दिव्य-दृष्टि से देखो माते ,पातक उर निर्मल हो जाये।टेक। भव सागर पार … Read More
दे दे रे मॉ,इतना वर दे दे दे रे मॉ , इतना वर दे,देश मेरा खुशहाल रहे।हर हाथों को ,काम सौंप दे,हर घर मालामाल रहे । ना जानूॅ मैं पूजन … Read More
जय-जय मदन गोपाल की / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर , ढेरों शुभ कामनाओं के साथ सादर, हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ की रचना पाठको के सामने प्रस्तुत … Read More