अग्नि बिछौना / बाबा कल्पनेश

अग्नि बिछौना / बाबा कल्पनेश प्रेम पंथ पर आगे बढ़ना,अपनी है कमजोरी।अग्नि बिछौने के आसन पर,बैठी गोरी-भोरी।।नयनों के डोरे से खींचे,आओ मेरे स्वामी।सुनकर गिरा पाँव कब रुकते,उरतल जब अतिकामी।। प्रेम … Read More