chhand-panchchamar | छंद-पंचचामर- बाबा कल्पनेश

chhand-panchchamar १. छंद-पंचचामर रमानिवास जागिए,मही तुम्हें पुकारती। प्रभात हो सके धरा,सुहाग माँग धारती।। तुम्ही विभात प्राण हो,प्रकाश पंथ खोल दो। विषाणु नष्ट हो सके,हवा सुमिष्टि घोल दो।। जवान भी किसान … Read More