दे दे रे करवा मॉ वर दे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

दे दे रे करवा मॉ वर दे | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश‘ दे दे रे करवा मॉ वर दे,अमर सुहाग रहे सबका ।स्नेह -सिन्धु में गोता खायें,मस्त मुदित हो हर तबका … Read More