पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक

पलायन | दर्पण | Hindi kavita | अभिमन्यु पाल आलोचक 1. पलायन मैं छोंड़ आया वो शांत गाँवमुझको शहरों का शोर पसंद है। स्मृति के चित्र चित पर छपकरपीड़ित मन … Read More