Man Kee Vivechana/भारमल गर्ग सांचौर

मन की विवेचना Man Kee Vivechana अनुराग अनुभूति मिला आज आनुषंगिक, निरूपम अद्वितीय शून्यता हुआ! देख अपकर्ष अपरिहार्य के साथ।   यदा-कदा अनुकंपा, अनुकृति अहितकर असमयोचित इंद्रियबोध रहित! अक्षम अनभिज्ञ … Read More

Hindi kavita Yah log/भारमल गर्ग सांचौर

यह लोग (Hindi kavita Yah log) ताकता हूं रंगीन सितारों को जमीन पर । फिर आसमान क्यों बताते हैं यह लोग ।। मोहब्बत मुकमल नही होती गर्ग । फिर क्यों … Read More