बाबा कल्पनेश की छंद रचनाएँ | Pushp Aur kantak

बाबा कल्पनेश की छंद रचनाएँ | Pushp Aur kantak पुष्प और कंटक   छंद-दुर्मिल यह कैसा संकट,पथ के कंटक,फिर-फिर शीश उठाते हैं। ये डाली-डाली,हे उर माली,देखे पुष्प लुभाते हैं।। जो … Read More