इक बार पुकारा होता / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

सजल इक बार पुकारा होता भूले से सही प्यार से,इक बार पुकारा होता,शबनमीं होंठों पे सनम, अधिकार तुम्हारा होता।1। ख्वाबों में ही देखी , वह मुहब्बत तेरी,ख्वाब सजते जो गजब, … Read More

सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है | सजल | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘ हरीश’

सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है | सजल | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘ हरीश’ सुर्खुरूॅ होने में, वक्त लगता है। सिलसिला यादों का ,चलने दीजिए,ख्वाब सा ख्यालों में, रहने दीजिए।1। मैं … Read More