श्रद्धा बनाम छल | सम्पूर्णानंद मिश्र

श्रद्धा बनाम छल | सम्पूर्णानंद मिश्र नारी जब जबतुमको कुचला जाता हैहृदय दहल जाता हैअब तुम सीता लक्ष्मीअहल्या जैसी बन कर‌जी नहीं सकती होदिन में भी तुमसुरक्षित नहीं रह सकती … Read More

कहां पर छिपी हो | Kaha par chipi ho

कहां पर छिपी हो | Kaha par chipi ho सूफीवाद पर आधारित कविता, जहां नारी को ब्रह्म तथा पुरुष को साधक माना गया है। कहां पर छिपी हो बताओ प्रिये … Read More

शहीदों को नमन | सीताराम चौहान पथिक

शहीदों को नमन | सीताराम चौहान पथिक दीपक स्वयं निरंतर जल करदेता दिव्य प्रकाश ।सैनिक सीमाओं पर लड़ता,राष्ट्र को देता आत्म विश्वास । दोनों का यह आत्म विश्वास,दिवाली समॄद्ध तभी … Read More

मीन और मीनाक्षी | सीताराम चौहान पथिक

मीन और मीनाक्षी | सीताराम चौहान पथिक मीन :मैं मीन तू मीनाक्षी ,संतुष्ट मै तू क्यों नहीं ॽसमझी, तू महत्वाकांक्षी।बैठ मेरे पास हे मीनाक्षी । मेरा निलय जल-कुंड ,मैं संतुष्ट … Read More

तीन बाल कविताएं | baal kavita in hindi

तीन बाल कविताएं | baal kavita in hindi १. बेचारा छात्र नीचे स्वाटर ऊपर स्वाटर , बीच    में    कमीज़    । टाई  सीधी   बांध     ले  , सीख   ले      तमीज    ।। … Read More

दम्पत्ति- संवाद / सीताराम चौहान पथिक

दम्पत्ति- संवाद / सीताराम चौहान पथिक पत्नी-मेरे जीवन साथी, मैं दिया और तुम बाती ।जीवन में भरें प्रकाश, लिखें नव कथा प्रेम की पाती ।।मैं सीता और तुम राम, मैं … Read More

हम और हमारी आजादी / सीताराम चौहान पथिक

हम और हमारी आजादी / सीताराम चौहान पथिक आज आजादी की शम्मा ,जल-बुझ रही है दिन ब दिन।जज्बे आजादी की धुन ,मिट रही है दिन ब दिन ।। ऐ खुदा … Read More

क्रोध और अहंकार / सीताराम चौहान पथिक

क्रोध और अहंकार / सीताराम चौहान पथिक अहंकार जब आ जाता है ,नशा आँख में छा जाता है ।पतन तभी होता है यारो ,अहम मनुज को खा जाता है इतिहास … Read More

ग़ज़ल बिछुडता है दिले- दिलबर | Ghazal Bichhuta Hai Dile Dilbar

ग़ज़ल बिछुडता है दिले- दिलबर | Ghazal Bichhuta Hai Dile Dilbar बिछुडता है दिले- दिलबर ,तो दिल ना- साज होता है ।तडपता है सुबह और शाम ,बे-आवाज होता है ।। … Read More

शिशु और जननी | sitaram chauhan new kavita

शिशु और जननी बच्चा प्रभु का रूप है ,सुन्दर सुघड़ अबोध ।इससे प्रीति बढ़ाइए ,मिटे बुढ़ापा रोग ।। तन मन हो रोमांचित ,बच्चा बन कर देख ।चिंताएं मिट जाएंगी ,दिखे … Read More

Kalam Hindi Kavita/ क़लम- सीताराम चौहान पथिक

क़लम (Kalam Hindi Kavita) आप लिख-लिख कर ,क़लम घिस जाएंगे ।ये जो है – चिकने घड़े ,रंगत नई दिखलाएंगे ।। आज भ्रष्टाचार बे-ईमानियो ,का – – – – – दौर … Read More

Hindi Gazal Lachari | लाचारी/ सीताराम चौहान पथिक

लाचारी | Hindi Gazal Lachari हर साथ ढूंढता है कोई ,बस – साथ के लिए ।हर हाथ ढूंढता है कोई ,इक हाथ- – के लिए ।। कितना बदल गया है … Read More

शान्ति का मसीहा / सीताराम चौहान पथिक

शान्ति का मसीहा बीत जाएंगे हजारों वर्ष- लेकिन,याद हॄदय से भुलाई जाएगी ना ही कभी।आएंगे स्मरण जब जीवन के अंतिम क्षण ,आँसू बहाएंगे कोटि नर- नारी सभी।। लेखनी लिखती रहेंगी … Read More

कटु – सत्य / सीताराम चौहान पथिक

कटु – सत्य मानव जीवन का अंतिम कटु सत्य ,धधकती चिता का शमन । देख कर लौटा हूं राजनेता की चिता ।प्रश्न कचोटता है , हॄदय झकझोरता है ,क्या इसी … Read More

Kaise Ganga Putr – कैसे  गंगा  – पुत्र/  सीताराम चौहान पथिक

Kaise Ganga Putr – कैसे  गंगा  – पुत्र/  सीताराम चौहान पथिक कैसे  गंगा  – पुत्र ।  युगों-युगो से मां गंगे , पर-हित इतिहास तुम्हारा। तॄषित – जनों की प्यास बुझाती … Read More