आजादी का पर्व सुपावन,आओ साथ मनायें | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

पन्द्रह अगस्त के पावन अवसर पर सादर समर्पित। आजादी का पर्व सुपावन,आओ साथ मनायें। आजादी का पर्व सुपावन,आओ साथ मनायें।नील गगन में धवल तिरंगा,फहर-फहर फहरायें।टेक। मातृ भूमि की बलि वेदी … Read More

सांसें | सम्पूर्णानंद मिश्र | Hindi Kavita

सांसें विवेक की चलनी मेंचल जाती है जब बुद्धितब मनुष्य अनैतिकता कीज़हरीली हवा से विमुक्त होकरनैतिकता कीकिताब पढ़ने लगता है औरवह उस दिन सचमुच एक पूंछविहीनजानवर की सफ़ सेअसंपृक्त होकरधर्म, … Read More

पिता | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ | पिता हिंदी कविता

जिसने हाथ पकड़ कर पग-पग,चलना मुझे सिखाया,प्रिय समाज के रिश्ते-नातों,से परिचय करवाया।टेक। नमन सदा उनके चरणों में,बारम्बार प्रणाम करूॅ,स्नेह,दया,करुणा,ममता का,दर्शन आठों याम करूॅ।धर्म-कर्म,सहयोग,त्याग का,पावन पथ दिखलाया।जिसने हाथ पकड़कर पग-पग,चलना मुझे … Read More

यह पूछ रहा मन मेरा /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश’

यह पूछ रहा मन मेरा तुम जाओगी!कब आओगी?यह पूछ रहा मन मेरा,यादों की सौगात सहेजे,पुलक थिरकता तन मेरा।टेक। मनहर बातें सॉझ सुहानी,मीरा जैसी तुम दीवानी,बूॅद-बूॅद रस अधर टपकता-छलके कंचन तेरी … Read More

स्मृति शब्दाधारित रचना | मन्द-मन्द तेरी मुसकान /हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’

स्मृति शब्दाधारित रचना। मन्द-मन्द तेरी मुसकान स्मृति में चुपके से तेरा,वह घूॅघट पट सरकाना,पॉव दबा कर आते तेरे,पग-नूपुर का बज जाना।तृप्ति कहॉ मिल पाती बोलो,लुक-छिप प्रणय निवेदन में,मधु भरे हठीले … Read More

मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

‘मुसाफिर’, शब्दाधारित रचना मुसाफिर प्यार का बन कर,सफर आसान कर लेना,नहीं कुछ और जीवन में,सफल अभियान कर लेना।टेक। कदम तुमने बढ़ाये हैं,कहॉ मंजिल तुम्हारी है,सफल जो हो गया चलकर,उसी की … Read More

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश तुम्हारा प्यार ही तो है,जो माधव बनकर आया है,बिखेरो स्नेह की खुशबू,सन्देशा सबको लाया है।टेक। नहीं शिकवे-गिले कोई,चॉदनी चॉद में खोई ,किसे … Read More

लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

लक्ष्य बनाकर चलना सीखो / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ लक्ष्य बनाकर चलना सीखो,बन कर फूल महकना सीखो।1।धरा-गगन सब बनें सहायक,ऋतु सा रूप संवरना सीखो।2।मीठी सरस मधुर वाणी में,कोयल सा तुम कहना … Read More

यही पैगाम है मेरा | पैगाम | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

यही पैगाम है मेरा | पैगाम | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ यही पैगाम है मेरा रहें सब लोग मिलजुल करबने सुन्दर सहज डेरा,करें सब देश की सेवा,यही पैगाम है मेरा।टेक। न … Read More

ये जुल्फ बड़े कातिल,सॅवारा जो आपने | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’

ये जुल्फ बड़े कातिल,सॅवारा जो आपने | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’ चाह कर भी तुमसे,रुसवा न मैं हुआ,इकबार नजर भर कर,निहारा जो आपने।1। कोई गिला शिकायत,तुमसे नहीं रही,अपना समझ के प्यार … Read More

कट जाने दो तन्हॉ | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

कट जाने दो तन्हॉ,जिन्दगी को यूॅ ‘हरीश ‘ हम बात मोहब्बत की,जुबॉ तक लाते हैं,वे बुरा न मान जायें,कह नहीं पाते हैं।1। गजब बेबशी है,हर एक जिन्दगी में,बस प्यार के … Read More

पॉव भटक न जायें सुन तू / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’

पॉव भटक न जायें सुन तू / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’ हरीश’ कॉटों भरी डगर जीवन की,जिस पर तुझको चलना है,पॉव भटक न जायें सुन तू,प्यारी मेरी ललना है। टेक। तुझे पता … Read More

इक बार पुकारा होता / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

सजल इक बार पुकारा होता भूले से सही प्यार से,इक बार पुकारा होता,शबनमीं होंठों पे सनम, अधिकार तुम्हारा होता।1। ख्वाबों में ही देखी , वह मुहब्बत तेरी,ख्वाब सजते जो गजब, … Read More

कौन हवाओं से पूछेगा / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

सजलकौन हवाओं से पूछेगा, पल-पल प्रियवर याद तुम्हारी,तड़पा जाती है,गुलशन के हर गुल-ओ-खार को,महका जाती है।1। राख हुए जंगल सी बस,अपनी राम-कहानी,दो पल रुककर पागल मन को,समझा जाती है।2। तन्हॉ … Read More

तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

तनहाई / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ तनहाई में शीशे जैसा,दिल नहीं टूटने वाला। तनहाई में याद तुम्हारी , मेरा साथ निभा जाती है,तुम भी पूछो तनहाई से,कैसे क्या बतला जाती है।1। … Read More