हल्का हल्का सुरूर है साक़ी / नरेंद्र सिंह बघेल

हल्का हल्का सुरूर है साक़ी / नरेंद्र सिंह बघेल ( तरन्नुम से गुनगुनाने को} हल्का हल्का सुरूर है साक़ी ।कोई चाहत जरूर है साक़ी ।।हल्का हल्का ———बिन पिए खुद-ब -खुद … Read More

kuchh log khud ko maseeha banae phirate hain/ग़ज़ल

कुछ लोग ख़ुद को मसीहा बनाए फिरते हैं। (kuchh log khud ko maseeha banae phirate hain) कुछ लोग ख़ुद को मसीहा बनाए फिरते हैं। न जाने कौन सा क़िस्सा सुनाए … Read More