वह मात्र एक छलावा है | सम्पूर्णानंद मिश्र

वह मात्र एक छलावा है वैसे तोसुख की कोईपरिभाषा निश्चित नहीं है लेकिनअच्छी अनुभूति सुख का आधार हैऔर बुरी दु:ख का महात्मा बुद्ध ने कहाजीवन में दुःख ही दु:ख हैऔर … Read More

पुनर्पाठ |सम्पूर्णानन्द मिश्र

पुनर्पाठ कलझुंड में कई कुत्ते दिखेमुझे सड़क परभौंक रहे थे सब आपस में एकदूसरे को काट रहे थे देखते ही दौड़ेझुंड के कुत्ते सभी मेरी तरफ़ किसी तरह भागते- भागतेजान … Read More

कटघरे में अदालत के |सम्पूर्णानन्द मिश्र

कटघरे में अदालत के अपशकुनमानी जाती हैंस्त्रियांअगर वैधव्यका काला धब्बाउनके माथे पर हो चूड़ियां तकतोड़वा दी जाती हैंदूर बैठायी जाती हैंधार्मिक और शुभक्रिया कर्मों के अवसर पर अपमान और जलालतकी … Read More

कितनी बार | सम्पूर्णानंद मिश्र

कितनी बार अब मुझे मत मारो राम!एक अपराध की सजाकितनी बार मैं अपराधी थामाना कि सीता कामिलनी चाहिए सजा मुझेलेकिनराम कितनी बार हर बार मैं मर रहा हूंघुट-घुटकर जी रहा … Read More

विदाई लो श्रीमन् साभार आपका सरल मधुर व्यवहार | डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज

श्रीमान् आर.पी. सिंह (आई.ए.एस.) आयुक्त चित्रकूट धाम मण्डल बांदा (उ.प्र.) के निवृत्तमान होने पर नागरिक अभिनंदन भाव सुमन दिनांक 30 सितंबर 2023. विदाई लो श्रीमन् साभार आपका सरल मधुर व्यवहार। … Read More

अपने हिस्से का आकाश |सम्पूर्णानंद मिश्र

अपने हिस्से का आकाश ढोता हूं पूरी शिद्दत सेअपने हिस्से का आकाशताकिझरबेरी का पेड़उग सके मेरे आंगन में औरजिसका फलदे सके थोड़ी सी मुस्कान मेरे ओठों परताकि अब मुझे गिरवी … Read More

धूमिल याद आ गए |सम्पूर्णानंद मिश्र

धूमिल याद आ गए! मेरे समीपस्थ गांव केमेरे प्रिय कवि धूमिल यादआ गए आज याद आना लाजिमी थाक्योंकि पूरे देश ने उठाया थाएक तारीख़ कोएक घंटे श्रमदान करने की ज़िम्मेदारी … Read More

पहला-पहला जब शब्द सुना | Hindi Diwas Poetry in Hindi

हिन्दी पहला-पहला जब शब्द सुना ।माॅं ने हिन्दी को तभी चुना ।जब कलम हाथ में आई थी ।तन- मन में हिन्दी छाई थी !! तुतलाकर बोला प्रथम बार!निकला था मुॅंह … Read More

गुरु | रश्मि लहर | Teacher Day Hindi Poetry

गुरु बदल देते हैं जीवन-मूल्य,विस्मृत कर देते हैंबड़ी से बड़ी भूल।सुलझा देते हैं मन का हर उलझा-भाव,लुप्त हो जाते हैं जीवन के अभावजब मेरे पास होते हैं गुरु! भले अदृश्य … Read More

देशगीत | ये मेरे प्यारे देश सुनों,मैं तेरे ही गुण गाता हूं | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

ये मेरे प्यारे देश सुनों,मैं तेरे ही गुण गाता हूं।इस तन में जब तक जान बची,मैं तुझको शीश झुकाता हूं।तुझसे जुगुनू की चमक यहां,तुझसे फूलों की घाटी है।तुझसे झरनों का … Read More

डाँ सविता चडढा को अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन मॉरीशस में मिला, राष्ट्र गौरव साहित्यिक सम्मान

मारीशस गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री पृथ्वीराजसिंह रूपन ने किया डॉ. सविता चड्डा की पुस्तक का लोकार्पण मॉरीशस: विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन में भारत … Read More

जय गूंजे दशों दिशाओं में,भारत माता की हो जय-जय |आरती जायसवाल

जय गूंजे दशों दिशाओं में,भारत माता की हो जय-जय! मातृभूमि ‘भारत महान’सदैव हमको अभिमान रहे!वीरों की,देवों की धरती ,होंठों पे सदा गुणगान रहे!सर्वधर्म समभाव रहें,एक दूजे का सम्मान रहे!स्वतंत्रता पर … Read More

बघेली बानी |धन्य धन्य जननी | नरेंद्र सिंह बघेल

°°°°°°°°°°°°°बघेली बानी में हिंन्दुली लोकगीत की तर्ज पर विन्ध्य धरा के अमर शहीद ठा. रणमत सिंह जी पर एक गीत ।°°°°°°°°°°°°°°°~~~~~~धन्य धन्य जननी ,कि धन्य धन्य भुइयाँ ,जनम लिहें ना … Read More

विभीषिका | सम्पूर्णानंद मिश्र

– विभीषिका मज़हब का नशाजब ख़ून में उतर जाता हैतो इंसानख़तरनाक हो जाता हैकई हिस्सों मेंवह बंट जाता हैबंटा था 1947 मेंहमारा देश भीमज़हब के नाम पर हीमज़हब ज़हर हैजानलेवा … Read More

उबाल | पुष्पा श्रीवास्तव “शैली” रायबरेली

उबालआजादी के गीत के दो दिन पहलेऔर बाद में हीदेश भक्ति का उबाल रहता है।बाकी पूरे वर्ष स्वार्थ की धाराप्रवाह मान रहती है।कुछ नहीं होता वर्ष भर मेंगीतों के माध्यम … Read More