परवाह किसे है / शैलेन्द्र कुमार

परवाह किसे है /शैलेन्द्र कुमार मेरा स्वास्थ्य ठीक नहींहमेशा तनाव में रहता हूंँअकेला पड़ गया हूं मैंमर जाऊं, यही सोचता रहता हूंँ किंतु परवाह किसे है? परिवार ने जली-कटी सुनाईबीमारी … Read More

अकेलापन पिता का / शैलेन्द्र कुमार

अकेलापन पिता का / शैलेन्द्र कुमार अक्सर चुप रहते हैं पिता मेरेधीरे-धीरे मेरे कमरे में आते हैंबैठ जाते हैं, बैठे रहते हैंप्रतीक्षा करते हों जैसे मेराकि मैं बात शुरू करूंगा। … Read More

लजाई प्रीत / पुष्पा श्रीवास्तव “शैली”

लजाई प्रीत / पुष्पा श्रीवास्तव “शैली” दीप जगमग हुआ प्रीति ने मन हुआ।गागरी भर उतरने लगी चांदनी।मन से मन जब मिला,तम लजाकर कर गिरा,लाज की ओढ़नी फिर पड़ी बांधनी जब … Read More

बुद्ध बनना आसान नहीं है / सम्पूर्णानंद मिश्र

बुद्ध बनना आसान नहीं है! ( बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर) गालियों को गलानेईर्ष्या को जलानेअहंकार का विष पीनेमान-अपमान में समभाव जीनेका जब अभ्यास हो जायतो व्यक्ति बुद्ध बनता हैयह … Read More

मॉ गीत विरद तव गाऊॅ | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

मॉ गीत विरद तव गाऊॅ | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश पदरज आज सजा मेरे माथे,मॉ गीत विरद तव गाऊॅ,ऋषि-मुनियों ने ध्यान लगाया,मॉ मैं भी तुझको ध्याऊॅ।टेक। कृपा मिले तो भव सागर से,पार … Read More

धरती पुत्र | हिंदी कविता | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

धरती पुत्र | हिंदी कविता | पुष्पा श्रीवास्तव शैली धरती पुत्र सर पर बांधे गमछे से पसीनासुखाते हुए कभी धरती पुत्र कोदेखा है?देखा है कभी उन पांवों को जोतपती धूप … Read More

पीड़ा / सम्पूर्णानंद मिश्र

पीड़ा सदियों सेप्रतिस्थापितपत्थरधर्मस्थलों मेंखोखले लिबासओढ़े- ओढ़ेबिल्कुल थक से गए और अपने साथ हुएअन्याय के ख़िलाफ़पूरी प्रतिबद्धता से खड़े हो गए उनके साथ हुएशोषण का रक्तउनकी आंखों सेनिरंतर टपक रहा है … Read More

पतली पगडंडी | Hindi Kavita | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

पतली पगडंडी | Hindi Kavita | पुष्पा श्रीवास्तव शैली उस पतली पगडंडी पर तुम कैसेकैसे दौड़ा करते थे।कच्ची अमिया के गुच्छे कोकैसे तोड़ा करते थे। बहुत बार हम गिरे साथ … Read More

‘शब्द-शक्ति’ | आरती जायसवाल

‘शब्द-शक्ति’ | आरती जायसवाल ‘शब्द की शक्ति अनूठी होती है’कभी संहारक तो कभी निर्माण की भूमिका मेंयों ही नहीं बोले और लिखे जाते हैं शब्द ;क्योंकि शब्द छूते हैं हमारे … Read More

हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2023 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me

हिन्दू नव वर्ष पर कविता 2023 – Hindu New Year Poem in Hindi – हिन्दू नव वर्ष पोएम इन हिंदी – Hindu Nav Varsh Kavita Hindi me नववर्ष विथा-तोटक छंद112 … Read More

नव संवत्सर | हिंदी कविता | डाॅ. बी.के.वर्मा ‘शैदी’

नव संवत्सर | हिंदी कविता | डाॅ. बी.के.वर्मा ‘शैदी’ भारतीय नव संवत्सर केस्वागत_समारोहों के बारे में जानकर,मेरे पोते ने मुझ से पूछा:“दादा जी!New Year तो हमतीन महीने पहले ही मना … Read More

यह अपना नववर्ष | प्रतिभा इन्दु | Hindu Nav Vrsh Kavita

यह अपना नववर्ष | प्रतिभा इन्दु | Hindu Nav Vrsh Kavita हवा बसंती , कोयल गातीबैठ आम की डाली ,मादक महुए के सुगंध सेहुई दिशा मतवाली ,मधुमय मौसम बिखरा सौरभछाया … Read More

एक वासंती गीत | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’

एक वासंती गीत | दुर्गा शंकर वर्मा ‘दुर्गेश’ एक वासंती गीत शीत दूर हो रही,सूर्य ताप छा गया।लो वसंत आ गया,लो वसंत आ गया।बह रही वासंती पवन,मन मयूर नाचता।शीत ने … Read More

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश

तुम्हारा प्यार ही तो है | हरिश्चन्द्र त्रिपाठी’हरीश तुम्हारा प्यार ही तो है,जो माधव बनकर आया है,बिखेरो स्नेह की खुशबू,सन्देशा सबको लाया है।टेक। नहीं शिकवे-गिले कोई,चॉदनी चॉद में खोई ,किसे … Read More

देख लो आम के बौर को बेटियों | पुष्पा श्रीवास्तव शैली

देख लो आम के बौर को बेटियों देख लो आम के बौर को बेटियों,और पगडंडी की दूब पर बैठ लो।कूक कोयल की समझो जरा ध्यान से,आम महुए से बतियाते आराम … Read More