thithur gaya sooraj-ठिठुर गया सूरज/सम्पूर्णानंद मिश्र
thithur gaya sooraj
ठिठुर गया सूरज
ठिठुर गया
शीतलहर से सूरज भी
तल्ख हो गया
मौसम का रुख़ और भी
ठंडी हवाओं के बीच
कोहरे की चादर बिछ गई
दिन भर आसमान की ओर
लोग टकटकी लगाए बैठे हैं
और नगीना टी स्टाल पर
चाय की चुस्कियां भी ले रहे हैं
सत्ता की राजनीति
की गाड़ी को
अपने भड़काऊ भाषण
की कील से
पंचर करने के
मंसूबों पर विपक्षियों को
अब ग्रहण लग गया
उनके पास कोई काम नहीं
अब उनका कोई नाम नहीं
उन्हें कुंवारेपन की दुनिया
से भी निकाल देना चाहिए
दाम्पत्य जीवन के बंधन
में बांध देना चाहिए
कानी हो, लगंड़ी हो लूली हो
जो भी आफर हो
स्वीकार कर लेना चाहिए
यदि छुट्टा घूमते रहेंगे
तो किसी दिन कांजी हाउस
में बांध दिए जायेंगे
वैसे अब सत्तर साल के
इस लुकाछिपी के खेल
को जनता जान चुकी है
मुखौटों में छिपे चेहरे को
पहचान चुकी है
डॉ० सम्पूर्णानंद मिश्र
प्रयागराज फूलपुर
7458994874