तुम धरा की शान हो/डॉ विष्णु प्रताप सिंह
विश्व महिला दिवस पर विश्व की सभी महिलाओं को समर्पित डॉ विष्णु प्रताप सिंह की स्वरचित रचना तुम धरा की शान हो सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है।
तुम धरा की शान हो
तुम धरा की शान हो पहचान हो उपमान हो
तुम धरा पर ईश के अस्तित्व की पहचान हो।
तुमने अपनी गोद मे त्रिलोकपति को है खिलाया।
तुमने अपने प्रेम का अमृत जगत को है पिलाया।
तुम नही श्रद्धा अपितु संसार की भगवान हो।
तुम धरा पर ईश के अस्तित्व की पहचान हो।
त्याग में तुम जगत हित सीता सरिस जीती रही हो।
बहन जननी भार्या सब रिश्ते तुम सीती रही हो।
छमा ममता दया करूणा की तुम्ही तो खान हो।
तुम धरा पर ईश के अस्तित्व की पहचान हो।
तुमने पीड़ा प्रशव की सुख से सहा कुछ न कहा है।
तुमने बचपन के हमारे घात निज हिय मे सहा है।
तुम हमारी खुशियों पर करती न क्या वलिदान हो ।
तुम धरा पर ईश के अस्तित्व की पहचान हो।
डॉ विष्णु प्रताप सिंह
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय
सांगीपुर प्रतापगढ़ ।