Vedika ke Dohe | वेदिका के दोहे

Vedika ke Dohe | वेदिका के दोहे

देत सबहीं उपदेश धर्म का ,धर्म ना जाने कोय ,
जस कागज का पुष्प ,इतर लगा खुश होय !!!

वचन ना कड़वा देखिये ,मातपिता ,सच्चे मित्रन की ,
मीठे वचना बोल -बोल ,व्यापारी लूटे खान है धन की !!!

निन्दक करै ना निन्दा ‘वेदी’ ,दे अपनी पहचान ,
लो सीख मुझसे जग वालों ,मुझ जैसन का ना सम्मान !!!

देत -देत साथ पाप का ,पापी सोचै आप ,
मिला ना कुछ इस पथ चलकर ,छूटा सबहीं का साथ !!!

उमर ना देखो ग्यान की ,धर लीजौ अनमोल समझ ,
वामन रुप ना भांप सका नृप,जान हरि रह गया सहम !!!

वेदिका श्रीवास्तव

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