Zindagi Par kavita kalpana awasthi-जिंदगी पर कविता

  जिंदगी पर कविता

(zindagi par kavita )


जिंदगी को क्या कहूं,

यह खेलता एक खेल है,

रुक गई तो कुछ नहीं,

और चल पड़ी तो रेल है।

 

दो दिलों को जोड़ दें,

जो जिंदगी वो तार है,

है जहां मैं कौन अपना,

स्वार्थ का  संसार  है।

 

बांधकर जो साथ रखें,

जिंदगी वो मेल  हैं,

जिंदगी को क्या कहूं,

ये खेलता एक खेल है,

 

जिंदगी को मान लो तो,

एक खुशी का झोंका  है,

क्या-क्या कराए जिंदगी,

कब किसने इसको रोका है।

 

जिंदगी ने आपको ,

हमसे मिलाया है,

इसे अपने जीवन का,

आधार मानकर जियो।

 

उड़ गए आकाश में,

हम हो गए आजाद हैं,

कमरे     में  रहे  तो,

जिंदगी फिर जेल।

 

खुशियां मिले तो झूम लो,

और गम मिले तो बांट लो,

मुस्कुराते हुए  तुम,

तुम जिंदगी को काट लो।

Zindagi kavita kalpana awasthi
कल्पना अवस्थी

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2 thoughts on “Zindagi Par kavita kalpana awasthi-जिंदगी पर कविता

  1. Study material and Notes for IAS,UPPCS,UPSC,SSC,SSC-CHSL Etc. Preparation for Hindi Medium Students says:

    Wah maim kya bat hai bhut khoob

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